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________________ आचाराग-मूळ तया भाषान्तर, पिंडवाय पडियाए णिक्खमेज वा पविसेज्ज वा । से त्तमायाए एगत मवक्कमज्जा, अणावाय-मरुलोए चिद्वेज्जा । अहपुण एवं जाणेज्जा, खीरिणीओ गावीओ खीरियाओ पेहाए, असणं वा [४] उवक्खडियं पेहाए, पुरापजहिते, से एवं णचा ततो संजयामेव गाहावतिकुलं पिंडवायपडियाए पविसेज वा निक्खमेज्ज वा (५६३) भिक्खागा णामेगे एव माहंसु समाणे वा वसमाणे वा, गामाणुगाम दूइज्जमाणे, "खुड्डाए खलु अयं गामे संणिरुद्धाए णो महालए, से हंता-भयंतारो बाहिरगाणि गामाणि भिक्खायरियाए वयह " (५६४) । संति तत्थेगतियस्स भिक्खुस्स पुरेसंथुया वा पच्छासंथुया वा परिवसति, तंजहा, गाहावती वा, गाहावतिणीओ बा, गाहावतिपुत्ता वा, गाहावतिधूयाओ वा, गाहावतिसुण्हाओ वा, धाईओ वा, दासी वा, दासीओ वा, कम्मकरा वा, कम्मकरीओ वा, तहप्पगाराइं कुलाई पुरेसंथुनहि होय तो मुनिए ते घरमा प्रवेश न करवो. किंतु पाछा वळीने कोइ नहि देखी शके तेवा स्थळे जइ ऊभा रहे. अने ज्यारे जणाय के गायो दोवाइ रही छे या भोजन तैयार थइ रह्य छे अने वोजा याचकोने अपाइ चूक्युं छे त्यारे यतनापूर्वक ते गृहस्थना घरे जइने आहार लइ वळवू. [५३३] वृद्धपणाथी स्थिरवास करनारा के मासकल्पथी फरनारा मुनिओ नवा आवता मुनिओने एम कहे के “हे पूज्य मुनिओ, आ गाम घणुं नानक९ छे अने अहीं [सूतकादिकथी घणां घरो रोकायेलां छे. माटे आप वीजा गामे भिक्षामाटे पधारो." तो मुनिए तेम सांभळी ग्रायांतरे चाल्या नहुँ. [५६४] कोइ गाममा मुनिना पूर्वपरिचित तथा पश्चात्परिचितर सगावहाला र. हेता होय, जेवाके;-गृहस्यो, गृहस्थ वानुओ, गृहस्थपुत्रो, गृहस्थपुत्रीओ, गृहस्थ पुत्रवधुओ, दाइओ, दास, दासीओ, अने चाकरो, के चाकरडाओ; तेवा गाममा जतां जो ते मुनि एवो विचार करे के हुँ एकवार वधाथी पहेलां मारा सगाओगां भिक्षार्थे जइश, अने त्यां मने अन्न, पान, दूध, दहि, माखण, घी, गोळ, तेल, १ स्वपक्षना २ सीपक्षना श्वशुरादिक.
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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