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________________ ___ अध्ययन पांचमुं. [८] विणे-तुं सोयं णिक्खम एस महं' अकस्माजाणति, पासति, पडिलेहाएर णावखति, इह आगतिं गतिं परिण्णाय अव्वति जातिमरणस्स वहमगं णवक्खायरत' । (३२९) सव्वे सरा४ णियति, तका ५ जत्थ ण विज्जति, मति तत्थ ण गाहिता, ओए अप्पतिट्टाणस्स खेयन्ने । (३३०) से ण दीहे, ण हस्से, ण वद्दे, ण तसे, ण चउरंसे, ण परिमंडले, किन्ह, ण णीले, ण लोहिए, ण हालिट्टे, ण सुकिल्ले, ण सुरहिगंधे, ण दुरहिगंधे, ण तित्ते, ण कडुए, ण कसाते, ण अंबिले, ण महुरे, ण कक्खडे, ण मउए, ण गरुए, ण लहुए, ण सीए, ण उण्हे, ण णिहे, ण __ १ महान् २ प्रत्युप्रेक्ष्य ३ व्याख्यातोमोक्षस्तत्ररतः ४ स्वराः ध्वनयः ५ ताः ६ ओजः एकएव ७ मोक्षस्यज्ञाता यहा अप्रतिष्टानो नरक स्तन ज्ञाता सर्वलोकालोकज्ञइत्यर्थः जे कोइ पुरुष पाप आववाना प्रवाहोने बंध करवा दीक्षा ले छे ते महा पुरुष घाति कर्य क्षय करीने सर्वज्ञ तथा सर्वदर्शी धाय छे, (इंद्रादिकने पूजनीय थाय छे) छतां परमार्थ विचारीने इंद्रादिकनी पूजानी पोत अभीलापा नयी धरता, अने प्राणिओना संसारमा थवा परिभ्रमणने जाणता यका जन्म मरणना चक्रमांयी छूटा थईने मुक्तिपुरीना मुखमां जइ विराजे छे. [३२९] (मुक्तिना मुखमा रहेनारा जीवानी जि अवस्था वर्चे छ ते जणावा) कोइ पण शब्द समर्थ धना नयी, कोइ पण कल्पना दोडी शकती नथी, अने काउनी मानि पण पोहोंची शक्ती नथी. त्यां सकल कर्म रहित एफलो जीव संपूर्ण ज्ञानमय विराजे छे. [३३०] ते मुक्तिस्थित जीव नथी लांबो, नयी टूको, नधी गोळ, नयी त्रिकोण, नधी चौरस, नयी मंडळाकार; नयी कालो, नयी लीलो, नयी रातो, नयी पीळो, नधी घोळो; नी मुगंधि, नथी दुधि; नयी तीखो, नयी कड़ओ, नयी कसाएन्गे, नयी खाटो, नधी मीठो; नयी कर्कश, नयी मुकुमान, नयी भारी, नथी इलको नयी यंडो, नथी गरम, नयी स्निग्ध, नयी रुक्ष, नगै शरीरवालो, नथी जन्मघर
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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