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________________ 62 APPENDIX A भाया भयणी दोबिय संमजा दाय भाग दो सरिसा । भायरि सु पहाडेबिय लहु भायर भायणी हु संरख्का ॥२८॥ दत्ता दाण विसेसं भइणीउ पारिणे दब्बा। दो पुत्ता एय सुदा धणं बिभज्जति हा तहाभाये ॥ २१ ॥ लेसं जेठो लादिहु जहा रिणं णा तहा गिणहे । सुदाहु बंभजाजे चउ तिय दुगुणप्प भाइणा णेया ॥३०॥ खत्तिय सुद्दा णेया तिय दुगुणाप्प भाइणो णेया। सुदजु सुद्दा दुगुदुग भायरिहा वैस्स सुद्दजा इक्कं ॥३१॥ तिय वणणज जादाविहु सुदो वित्तं ण लहइ सम्बत्थ । उरस णिय पयणीउ दत्तो भाइज दोहिया पुत्तो॥३२॥ गोदज वा खेतुभव पुत्तारा देहु दायादा। कण्णणापच्छणणाऽपच्छणणा वाणो पुणभवोथुत्तो ॥३३॥ ते पुत्ता पुत्तकप्पा दायदा पिंडदाणेव । सुदाउ दासी बिहु जादो णिय जणय इच्छिया भागी ॥३॥ पित्तु गये परलोये अद्धं अद्धं सहणडुते सव्बे । दायादा केके निहु पढम भजा तदो दु पुत्तोहि ॥ ३५ ॥ पच्छादुर्भायराये पच्छातह तस्सुदा णेया । पच्छा तहास पिंडा तहा सु पुत्ती तहा सुतजोय ॥३६॥ अण्णो इकोविबंधुवि सुग्गीयजो जाइ जो हु दबेण । तस्सवि लोयपमाणं रायपमाणं हवेइ जं पत्तं ॥ ३७॥
SR No.011057
Book TitleJaina Law Bhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ L Jaini
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages146
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size5 MB
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