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________________ । रतन परीक्षक। अब फटिक परीक्षा फटिक माहि पैदा जो जानो।रंग श्याम कीमत कम जांनो॥ सुंदर घाट कद अति होई। रंग चमक विजली वत सीई॥ एसो उत्तम माणिक धारे । निश्च कर सत्र दोष निवारे ॥ तोल अधिक जिस माणिकमांही। कीमत अधिक होत तिस ताही॥ सुंदर होए चमक नहिं धारे । सो कृत्रिम मन मांहि विचारे। जो माणिक विप्रवर्ण का जानो। लाल कमल वत रंग पछांनो। खेर अंगारे वन जो होई। वित्र वर्ण का मानों सोई॥ कुल विद क्षत्री सो जांनो । वीर वहाही वत सो मानो। गंजा रंग मिंदर विचारो । वंक पुष्प नारंगी 'वारो॥ अनार दाणे वन रंग हाई क्षत्री वर्ग मान शम सोई॥ सोगकि वैश्य वर्ण सोजातो । असोक पुष्प साड़ी वतमानो। सौ गंभिक लाल कोर पळांन । रंग लाम्ब यत वैश्य प्रमांन । नील गंधो नाम शद्रसो जानो नील कमल बत रंग पछांनो।। लोहे के सम रंगित होई । कांती होन शूद्र है सोई॥ खाटे माणिक वर्णन उत्तम माणिक जो कहा पा राग सो जान ॥ अव खोटे वर्णन करो जैसे कृत्रिम मान ।। पत्थर नाम सँगली कहिए । कांती हीन किमनी लहिए । सखती में कछु घुफ पठानो। जाको माणिक खोटामांनो। नर्म नाम पत्थर इक जांत । दूसर खोटा माणिक मान ।। रंग खुष्क स्याही पर जानो। जरदी लिय तोल कम मांनो॥ नमी पत्थर नर्म विचार । माणिक खोटा दोइ प्रकार ॥ माणिक कीमत वर्णन दोहरा आगे कीमत सो सुनो। माणिक कहा अमोल ॥
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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