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________________ क्या ये हमारे गुरू हैं ? ४३ का व्यापार हमारे बत्तीस करोड़ देशभाइयों के हाथ में श्रा जायगा । अतएव, अन्तिम परिणाम की ओर देखकर हमें यही कहना पड़ता है कि कांग्रेस और 'स्वदेशी' में कुछ भेद नहीं है और यह देश कार्य प्रये । देशहितचिंतक का पवित्र कर्तव्य समझा जाना चाहिए। क्या ये हमारे गुरू हैं ? प्रस्तुत स्वदेशी आन्दोलन में इस देश के विद्यार्थीगण भी शामिल हैं। बंगाल-प्रांत में तो इस आन्दोलन का मुख्य भार विद्यार्थियों ही के ऊपर था और उन्हींको सहायता से उस अान्दोलन का जार वहां बहुत बढ़ा। इस बात को शिक्षा-विभाग के अधिकारियों ने पमंद नहीं किया । किसी स्थान में “ स्वदेशो" से संबंध रखनवाले लड़के स्कूल से अलग कर दिये गय; कहीं कही छात्रों को दंड किया गया; कहीं कहीं वे अपनी परीक्षाओं से रोक दिये गये और कहीं कहीं उनको अदालत से सजा भी दिलाई गई । कुछ स्कूल और कालेजों में शिक्षा देनेवाले गुरू, अध्यापक और प्रिन्सिपल लोगों ने अपनी यह राय जाहिर को, कि छात्रों को स्वशी आन्दोलन से संबंध न रखना चाहिए । इतनाही नहीं, किंतु कुछ लोगों ने तो यह सम्मति दो कि विद्यार्थियों को किसी राजनैतिक आन्दोलन में शामिल न होने देना चाहिए ---उन्हें राजनैतिक विषयों की चर्चा ही न करने देना चाहिए। जिन लोगों ने यह राय जाहिर की है उनमें से कुछ तो गोरे गुरू हैं और कुछ हमारे काले भाई भी हैं। इस लेख में हम अपने काले भाइयों के संबंध में कुछ लिम्बना नहीं चाहते; 'क्योंकि उनकी राय हमारे गोरे गुरू महाराज को शिक्षा ही से बनी हुई है। अतएव इन गोरे गुरू महाराज ही के संबंध में कुछ लिखना उचित है। अर्थात् इस विषय का विवेचन करना उचित है कि, क्या ये गोरे लोग यथार्थ में हमारे गुरू हैं ?
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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