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________________ यह समय कभी न कभी आनेही वाला था । श्राप है कि जिस आंदोलन की उत्पत्ति बंग-भंग जैसे क्षुद्र और क्षणिक विषय से हुई है वह चिरस्थायी कैसे हो सकता है ? इसका उत्तर यह है कि इस आंदोलन का बीज, वंगभंग के पूर्वही, इस देश में, बोया गया थावह बीज - रूप से पहलेही उपस्थित था । वंगभंग के कारण उसको गति प्राप्त हुई- बंगभंग के कारण उस बीज-रूपी आन्दोलन का सब देश में अर उग आया । अर्थात् यह आन्दोलन वंगभंग से उत्पन्न नहीं हुआ; वंगभंग, इस समय इस आन्दोलन के प्रसार का कारण मात्र हुआ। जिस प्रकार कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर खड़े रहनेवाले दोनों पक्षों के वीरों के नाश के लिये अर्जुन केवल निमित्तमात्र कारण हुआ — यथार्थ कारण संसार का संहार करनेवाला परमात्मा का कालस्वरूपही था उसी प्रकार वंगभंग प्रस्तुत आन्दोलन का केवल नैमित्तिक कारण है, यथार्थ कारण वर्तमान समय ही है । हमारा यह विश्वास है कि यद्यपि वंगभंग का प्रभ, इस समय, उपस्थित न किया जाता तथापि यह प्रसंग - यह आन्दोलन — श्राज नहीं तो कल, कभी न कभी आनेही वाला था । २७ गत दस बारह वर्ष में, दुनिया के सब देशों में, जो विशेष घटनाएं हुई हैं नकर, जिन लोगों ने ध्यान दिया होगा-जिन लोगों ने उन घटनाओं का सूक्ष्म रीति से विवेचन किया होगा- उनको यह बात देख पड़ेगी कि इस समय एक विशेष भाव से - एक विशेष कल्पना से सारी दुनिया का ढंगही बदलता जारहा है। अमेरिका, चीन, जापान, आस्ट्रेलिया, नटाल, ट्रान्सवाल, फ्रांस, जर्मनी और खुद इंग्लैण्ड की, गत दस बारह वर्ष की, सब घटनाओं को मथकर, यदि कोई एक विशेष बात जानना चाहे तो उसे यही देख पड़ेगा कि ये सब देश " स्वकीय का स्वीकार और परकीय का त्याग " इसी एक कल्पना- इसी एक भाव- इसी एक सिद्धान्त-रूपी केन्द्र के चारों ओर चक्कर लगा रहे हैं । अमेरिका में चीनियों को न रहने देने का जो यत्न किया गया उसका कारण क्या है ? आस्ट्रेलिया में जापानियों और हिन्दुस्तानियों को न रहने देने का कारण क्या है ? कुछ दिन हुए, बंबई के मशहूर भागास्त्रां साहब आस्ट्रेलिया को गये थे । उस समय उस देश के निवासियों ने इतने बड़े
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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