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________________ JAINISM IN SOUTH INDIA 428 [३८] वर्धमान [1] हिन्दी सारानुवाद-वर्धमान इस स्थानमें आया था [३९] कोल्लापुरद सोबणन मग ...... [1] हिन्दी सारानुवाद--कोल्लापुरके सोबणका पुत्र यहां आया था। [४०] तेंगुळिय संगप्प [1] हिन्दी सारानुवाद-तेङ्गुळिका सङ्गप्प यहां आया था। [४१] गुंडकल सोमिगुड [1] हिन्दी सारानुवाद --गुण्डकल (वर्तमान गुण्टकल रेल्वे स्टेशन) का सोमिगुड्ड यहां आया था। [४२] ब्रह्मसमुद्र [1] हिन्दी सारानुवाद-ब्रह्मसमुद्र यहां आया था। [४३] तोडरमल्ल नंजिनाथनु [1] हिन्दी सारानुवाद-नञ्जिनाथ तोडरमल्ल इस स्थानमें आया था। [४४] मीसरगंड कल्लप्पनायकरु [1] राक्षस संवत्सर मार्गशीर्ष सु. ११ गुरु [1] हिन्दी सारानुवाद-राक्षस संवत्सरके मार्गशीर्ष शु. ११ गुरुवारको मीसरगण्ड (श्मश्रुवीरों में वीर) कल्लप्पनायक यहां आया था। [४५] मल्लानेय मग नंजरायनु [1] हिन्दी सारानुवाद-मल्लानेका पुत्र नाराय इस स्थानमें आया था। [४६] उप्पिनबेटगेरी गांवके बाहर एक खेतमें उपलब्ध पत्थरपर-प्राचीन कन्नडमें . (सन् ९६४ इ.) स्वस्त्यकालवर्षदेव श्रीपृथ्वीवल्लभ महाराजाधिराज परमेश्वर परमभट्टारकं चलकेनल्लातं श्रीमत्कार देवन राज्यवुसरोतराभिवृद्धियिं सलुसिरे [1] शकनृपकाळातीतसंवत्सरशतंगळ् ८८७ नेय रक्ताक्षिसंवत्सरं प्रवर्तिसुत्तिरे [1] यादव
SR No.011025
Book TitleJainism in South India and Some Jaina Epigraphs
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP B Desai
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1957
Total Pages495
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size33 MB
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