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________________ (246) स.१८१८ मिती कातिक सुदितियो।बीसंघेन । श्रीविपुलाचल मुक्किंगतस्याति मुक्तकमुने मूर्तिः कारिता । प्रतिष्ठिताच श्रीममृतधर्म वाचकः।। ( 347 ) सम्वत १९३८ ज्येष्ठमासे शुक्ल पक्ष द्वादशी गुरु वासरे श्रीचन्द्रमान जिन चरण न्यासः प्रतिष्ठित वृद्ध विजय गणि प्रथम जीर्णोद्वार माणिकचन्द गंधी फरापितं विपुलाचल दुतिय जीर्णोद्धार राय लछमीपति सिंह धनपति सिंह करापितं । श्रोरस्तु॥ ( 248 ) संवत १८३८ ज्येष्ठ मासे शुक्ल पक्षे द्वादश्यां श्री मुनि सुव्रत जिन चरण न्यासः वृद्ध विजय प्रतिष्टितं राय लछमीपति सिंह धनपति सिंह जीर्णोद्धार करापितं श्रीरस्तु शुभं भूयात् बिपुलाचल। रत्नगिरि। ( 249 ) ॐनमः ॥सम्बत १८१८ वर्षे माघ मासे शुक्ल पक्ष । तियो श्रीनेमिनाथ जिन चरणकमले स्थापित हुगली वास्तव्य ओश वंशेगांधी गोत्रे बुलाकीदास तत्पुत्र साह माणिक चन्देन श्रीराजगृहे रतनगिरी जीर्णोद्वार करापिते ॥ प्रियोस्तु ॥ ( 250 ) ॥ ॐनमः ॥ सम्बत १८१८ वर्षे माघमासे शुक्लपक्ष हतियो श्रोशांतिनाजिम चरण कमले स्थापिते हुगली वास्तव्य ओशव गांधी गोत्रे बुलाकीदास तत्पुत्र साह माणिक चन्देन श्रीराजगृहे रतनगिरी जीर्णोद्धारं का।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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