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________________ (242 ) श्री गुम्न सम्बत १९०० वर्षे मार्गशीर्षमासे शुक्ल पक्ष दशम्यां तियो शुभवासरे श्री वर्द्धमान तीर्थंकरस्य चरण पादुका प्र. श्री वरखरतर गच्छे जंगम युग प्रधान महारक श्री जिनरंग सूरीश्वर शाषायां य० यु० भहारक श्रीजिन नंदीवर्द्धन सूरी राज्ये श्री वाच. नाचार्य श्री मुनि विनय विजयजी तत् शिष्य पं० कीर्योदयोपदेषात् ओसवाल वंशोशव बाबू खुस्यालचन्दस्य पत्नी वीवी पराण कवरी तेन प्र. का. श्री संघस्य कल्याण कारिणो भवतु शुभमस्तु । ( 243 ) शु० स० १८०० व० मार्गशीर्षमासे शु० वा. श्रीचन्द्रप्रमकस्य च०० प्र० श्री ए. ख. ग. श्री जिन नन्दी वर्द्धन सू० ३० मुनिकीर्युदयोपदेशात् महतावचन्द संचीतीकस्य पनी चीरोंजी बीबी प्र० का शुभमस्तु । ( 244 ) सं० १९११ व। शा० १७७६ प्र। शुचि शु। १० ति। श्रीचन्द्र प्रमविवं प्र. । । श्री जिन महेंद्र सूरिभिः का। सा श्री हफु----खरतर गच्छे । विपुलगिरि। ( 245 ) संवत १७०७ शाके १५७२ प्रवर्त्तमाने आश्विन शुक्ल पक्षे प्रयोदश्यां शुक्र वासरे। श्री बिहार वास्तव्येन महतीयाण ज्ञातीय चोपड़ा गोत्रेण म० तुलसीदास तत्मार्या संघवण निहालो तवनयेन मं० संग्रामेण यवीसात्पुत्र गोवर्द्धनेन सह श्रीराजगृहविपुल गिरी---- अमै जीर्णा उद्यरिता संघवी संग्रामेण प्र० कल्याण कीत्युपदेशात् श्रीखरतर गच्छे--- लिषतं रतनसी खंडेलवाल गोत्रे पाटनी गुमानासिंही रासिंग ग्राम मुकाम राजग्रिही।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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