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________________ (५५) श्रेयोर्थ श्री नेमिनाप विवं कारितं प्रतिष्ठित भी खरतर गडे श्री जिनन सूरि परे श्री जिन बंद सूरिराजेः ॥ श्री मंझपे पूर्गे महता गोत्रे ॥ श्री चंऽप्रजु खामीका मंदिर। [210] सं० १४एए वर्षे फागुण बदि १ गुरौ उपके सूर गोत्रे सा० सिवराज ना मा पु० बासा सहसा जातृ बडराज पुण्यार्य श्री शितलनाथ बिं का प्रति श्री उपकेश गछे ककुदाचार्य संताने श्री कक सूरिनिः ॥ ५ ॥ [2203 सं० १५४० वर्षे वेशात मासे उकेश बंशे दोसी गोत्रे सा कलू पुत्र सा लषा नार्या रुपाई पुत्र लषमी धरेण नाश लीलादे सहितेन श्री अजितनाथ बिवं कारितं प्रतिष्ठित खरतर गछे श्री जिनसमुफ सुरिजिः श्रेयोस्तु ॥१॥ चतुष्कोण पट्टक पर। [221] सं० १६३७ समये फागुण सुदी ५ नोमे श्री मूखसंघ सरस्वति गछे बलात्कार गणे श्री कुंदकुंदाचार्यान्वये न० श्री धर्मकीर्ति देव तत्पट्टे ज० श्री शीलभूषण तत्पटे ला श्री ज्ञान चूषण श्रथ जा सुमित्रनी तत्पट्टे जा श्री सुमतिकीर्ति ततशिष्य । मंएनाचार्य श्री मेरुकीर्ति गुरुपदे - ज् ॥ मगध देसे। खुदिमपुर बास्तव्य जेसवासान्वये कष्टहार गोत्रे सा वीरम तनायो वंयंत्रयोः पुत्र सहसी तम्नार्या बजेसिरि त्रयो पुत्रौ प्रथम किनू तनार्या परिमल सत्पुत्र जिनदास तमार्या मोना त्रयो पुत्र जगदीस द्वितिय संघ पति श्री रामदास जाया रुकमिनि मेतेषां मध्ये संघपति रामदास नित्यं प्रथमंति । शुजं जवतु ॥
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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