SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (2314] एसं० १५०७ वर्षे ज्येष्ठ सुदिदिने श्री उकेश पेशे लोढ़ा गोत्रे सा जोखा संतानें सा० बीरा जार्या नावसदे पुत्र सा जाडाकेन पुत्र नीसल बीसघ दामाका सहितेन श्री वासुपूज्य बिवं कारितं प्रति श्री खरतर गडाधीश श्री जिनराज सूरि पहासकार श्री जिन आज सूरि युगप्रधान गुरुराजौ। [215] सं० १५१५ वर्षे थाषाढ़ बदि १ मंत्रिदलीय काणा गोत्रे व नगराज सुत उप बघूनायो धामिणि पु० सं० श्री अवक्षदासेन पुत्र उ उग्रसेन सदमीसेन सूर्यसेन बुद्धिसेन बीरसेन देपाल पहिराजादि परिवार वृतेन खश्रेयसे श्री थादिनाथ बिंवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतर गछे श्री जिनन सूरि पदे श्री जिनचं सूरिनिः॥ [216] सं० १५१५ वर्षे थापाद यदि १ श्री मंत्रिदलीय शाखायां घायड़ा गोत्रेसा पोमराज जा सुरदेवी पुत्र उ० दासू ना कपूरदे पु० ० सदय व७ (?) प्रमुख परिवार सहितेन स्वश्रेयसे श्री शितलनाथ बिवं कारित प्र० श्री खरतर गछे श्री जिनसुंदर सूरि पट्टे श्री जिनहर्ष सुरिनिः ॥ श्री॥ [217] सं० १५१ए वर्षे थाषाढ़ पदि १ मंत्रिदलीय काणा गोत्रे व श्री नगराज सुत वा श्री बघूजार्या धर्मिणि पुत्र ससिंगारसीना कुंवरदे पु० स० राजमल सुश्रावकेण पुत्रादि परिवार सहितेन श्री थादिनाथ मूख विश्चतुर्विंशति पट्ट कारितः प्रतिष्ठितः खरतर श्री जिन जा सूरि पढे श्री जिनचंड सूरि युगप्र० परागामः ॥ ७॥ [218] सं० १५२० वर्षे माघ मुदि दशम्या बुधे श्रीमान ज्ञातीय स० गजु जायर्या धरणी धाता
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy