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________________ (२७) जीवादे सुत सागकुर नाम्ना जातृ सा पुण्यपाल सानाकर स्वनार्या गमतादे सुन लालजी घोरजी प्रमुख कुटुम्ब युतेन खश्रेयस श्री सम्नवनाथ विवं कारितं प्र० श्री तपा गठ महानृप प्रतिबोधक ज. श्री हीरविजय सूरि तत्सट्ट प्रनायक सुविहित न० श्री विजयसन सूगिनः थाचार्य श्री ५ श्री विजयदेव सूरि उपाध्याय श्री कल्याण विजय गणि प्रमुख परिवृतेः ।। [114] सम्बत १६ए वर्षे फागुण सित पञ्चमि गुरुवासरे श्री स्तम्नतीर्थ वास्तव्य बृद्ध शारवायां उपकेश ज्ञातीय सा० सदमीधर नाया बाई लखमाद पुत्री वा कह्न वाई नाम्न्या स्वमातृ सा० धनजी सा रतनजी सा० पभासण प्रमुख युतया श्री नमिनाथ बिवं कारितं प्रतिष्ठापितं च स्वप्रतिष्ठायां प्रतिष्टितं च तपा गया धिराज नहारक श्री विजयसेन सूरीश्वर पहालङ्कार श्री विजय देव सूरीश्वर पट्टप्रनाकराचार्य श्रीश्री विजयसिंह सुरिनिः॥ ॥श्री महावीरस्वामी का मन्दिर-माणिकतला ॥ 1 115] __ सं० १३५० बर्षे ----- जयसवाल ज्ञातीय सा० लाखणा श्रेयोर्थ श्री आदिनाथ वि माता चापल श्रेयोथं श्री शान्तिनाथ घिंयं कुमर सिंहेन श्रात्म पुण्यार्थ श्री पार्श्वनाथ नार्या लखमादेवी श्रेयोर्थ श्री महावीर विवं सुत खेतसिंह पुण्यार्थ श्री नेमिनाथ विवं का रितं साह कुमरसिंहेन प्रतिष्ठितं कोरंटक गछे श्री नन्न सूरि सन्ताने श्री कक्क सूरि पट्टे श्री सर्वदेव सूरिनिः। [ 110] सं० १४४ बर्षे श्री श्रीमाल बंशे साप लामा सा हापा सुश्रावकेण पुत्र बाढ़ा सहितेन खपुण्यार्थ श्री बर्द्धमान बिवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतर गछे श्री जिनराज सूरि पट्टे श्री जिनन सूरिभिः ॥
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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