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________________ ( १७ ) सहसा यैः पितृमातृ श्रेयसे श्री अजितनाचादि चतुर्विंशति पट्टः पूर्वसा पके श्री पुष्यरत्न सूरी शामुपदेशेम कारितः प्रतिष्ठितश्च विधिना श्री अहमदाबाद नगरे । श्री दादास्थान का मन्दिर । पाषाण के चरणोंपर । [87] ॥ श्री ले नमः ॥ संवत २०२१ मिति माघ सुदि १५ दिने महोपाध्याय जी श्री १०८ श्री समयसुन्दर जी गधि गजेंद्राणां शिष्य मुख्योत्तम श्री १०८ श्री हर्षनन्दन जी शाखायां पंकितोचम प्रवर श्री श्री जीमज। श्री सारङ्गजी तत्शिष्य पं० बोधाजी तत्शिष्य पं० हजारी नन्दस्य उपदेशेन सुश्रावक पुण्य प्रजावक का तेल गोत्रे सादजी श्री सोजाचन्द जी तत् जातृ मोतीचन्द जी श्री मत् बृहत खरतर गले जङ्गम युगप्रधान चारित्र चूड़ामणि जट्टारक प्रभु श्री १०० श्री दादाजी भी जिनदत्त सूरिजी दादाजी श्री १२०१ श्री जिनकुशल सूरि भूरीरायां पाडुका कारापिता मकुशूदाबाद मध्ये प्रतिष्ठितं महेंद्र सागर सूरिभिः ॥ शुभमस्तु | 168] सं० १००६ रा वर्षे मार्गशीर्ष मासे शुरूप १० तिथौ शुक्रबारे बृहत श्री खरतर गठे जं० । ० । ० | श्री १०८ श्री जिन चंद्र सुरि सन्तानीय सकल शास्त्राशार्थ पाउन प्रधान बुद्धि निधान । श्री मडुपाध्याय जी श्री १०८ श्री रत्नसुन्दर गणिजिहूराणां चरण स्थान || साइजी दूगड़ गोत्रीय श्री बाबु श्री बुधसिंह जी तत्पुत्र बाबु श्री प्रतापसिंह जी प्रादेष प्रतिष्ठितं श्री रस्तुः कल्याणमस्तुः । श्री श्रादिनाथजी का मन्दिर - कठगोला । [ 60 ] ॐ संवत १४०० वर्षे पोष मदि १०- गुरौ श्री नीमा ज्ञातीय गं० गड़दा जाय सक्षषु तयोः
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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