SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 176
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १४९ ) ( 638 ) सबस १४४३ वे० ० शु० १५ पूर्णिमा तिथो रविवासरे बृहत्खरतर गच्छे श्री जिन भक्ति सूरि पहालंकार अहारक भो १०५ श्री जिनलाभ सूरिभिः आदेशात् सनीपुर - श्री ऋषभदेवजी सहूक --1 सरस्वतीजी महादेवजी के चरण चौकी पर । ( 639 ) with संवत १६७६ वर्षे मा० सुद० १३ --1 --1 श्री राम विजयादी प्रमुखे मरुदेवी माताजी के हस्ति पर । ( 640 ) संवत १७११ वर्षे वैशाष सुदि ३ सोमे श्री मूलसंघे सरस्वति गच्छे वलात्कारगणे श्री कुं -- 1 --1 ( 641 ) संवत १७३४ व० माघ मासे शुक्लपक्षे - तिथी भृगुवासरे श्री मूलसंघ काष्ठासंघ महारक श्री रामसेनीन्वये तदाम्नाये भ० श्री विश्व भूषण अ० यशः कीर्त्ति भ० श्री चित्रन कीर्त्ति ( 642 ) संवत १७४६ वर्षे फागुण सु० ५ सोमे श्री मूलसंघ सरस्वति गच्छे बलात्कार गणे श्री श्री कुंदकुदाचार्यन्वये महारक श्री सकल कीर्त्ति स्तदन्तर भट्टारक श्री दामकीर्त्ति ।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy