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________________ ( १९७) विवं कारित पूर्णिमा पक्ष भीमपल्लीय प्रहारक श्री जयचंद्र सूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठित श्रीः ॥ छ। ( 630 ) सं० १५३१ वर्षे माघ वदि सोमे श्री श्रीमाल ज्ञातीय अमरमा भार्या परमादे पुत्र आसा भार्या वईरामति नाम्न्या स्वात पुण्यार्थं आत्म अयो/ श्री जीवित स्वामि श्री सुविधिनाथ चतुर्विंशति पह का० प्र० श्री धर्मसागर सूरिभिः। ( 631 ) सं० १९२७ वर्षे वैशाख वदि १० श्री मूलसंघे १० श्री सुमति कीर्ति गुरूपदेशात् का. जो देवसुत को सिंघा सु. धर्मदास रुग्दिास अनंतनाथ नित्यं प्रणमति। ( 632 ) सं० १८१४ रा मिती अषाढ़ सुदी १३ श्री नेमनाथजी वि०॥ छ । दादाजी के चरण पर। (633 ) सं० १८१८ मिति ज्येष्ठ कृष्ण तियो युधवारे । । श्रीजिनचद्र सूरिनि प्रतिष्ठितं ॥ म। श्री जिनकुशल सूरिजो पादुका ॥ । श्री जिनदत्त सूरिजीरा पादुका।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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