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________________ ( १४६ ) स्वपुण्यार्थं श्री संभवनाथ विंवं का० प्र० उपकेश गु० कुक्कदाचार्य स० श्री देव गुप्त रभिः । ( 626 ) सं० १५६३ वर्षे माघ सु० १५ गुरौ उ० विदाणा गोत्र े सा० रतना भा० रतनादे पु• रामा० रूपा स० पि० श्री कुंपनाथ विंवं का० प्र० श्री खंडेर गच्छे श्री शांति सूरिभिः श्रयात् ॥ दिनाजपूर । श्री मूलनायकजी के विवं पर । ( 627 ) - सु० 8 श्री चन्द्र प्रभ जिन विंवं संघेन कारितं प्रतिष्ठितं च ॥ श्रीजिनचन्द्र सूरिभिः ॥ श्री विक्रमपूरे । धातुके मूर्तियों पर । ( 628 ) संवत १४४७ वर्षे फागुण सुदि सोमे श्री अंचल गच्छे श्री मेरुतुंग सूरीणामुपदेशेन शानापति ज्ञातीय मारू ठ० हरिपाल पत्नि सूत्र सुत मा० देपालेन श्री महावीर विवं कारितं । प्रतिष्ठितंच श्री सूरिभिः ॥ ( 629 ) सं० १५१५ वर्षे फागुण दि ५ गुरौ श्री श्रीमाल ज्ञातीय लघुशाखायां थे • अर्जन प्रा० मंदोअरि पितृ मातृ श्रेयसे सुत गोईदेन भा० माकू पुत्र मेहाजल सहितेन श्री कुथनाथ
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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