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________________ ( १३३ ) ( 568 ) संवत १५७९ वर्षे आषाढ़ सुदि १३ दिने धिवारे श्री फसला गोत्रे मं० सधारण पुत्र रत्न मं० माणिक भार्या माणिकदे पुत्र मूलाकेन पुत्रपौत्रादि परिवृतेन श्री पार्श्वनाथ त्रिं कारित प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रोजिनहंस सूरिभिः श्रोपत्तन महामगरे । ( 669 ) सं० १९०४ वर्षे पौष मासे शुक्ल पक्ष पूर्णिमायां तिथौ श्रोअजमेर पूर्वी श्री चतुविंशति जिनमातृका पह लुनिया गोत्रेन सा० पृथिराजेन का० प्र० श्रीवृहत् खरतरगच्छाधीश्वर जंगमयुगप्रधान भ० श्रोजिन सौभाग्य सूरिभिः विजयराज्ये । श्रीदादाजी के छतरिके पास मन्दिरमें । ( 570 ) सं० १५३५ वर्षे आषाढ़ सुदि ६ शुक्रे बड़नगर वास्तव्य उकेशज्ञातीय सा० साजण भार्या तारु पुत्र सा० उषाकेन मार्या लीलादे प्रमुख कुटुम्प्रयुतेन स्वयं यसे श्रीशांतिनाथ वि कारित प्रतिष्ठितं श्री तपागच्छनायक श्री लक्ष्मीसागर सूरिभिः ॥ पं० पुण्यनन्दन गणीनामुपदेशेन ।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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