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________________ (१०८) ( 447 ) संवत १५६० वर्षे ज्येष्ठ वदि ४ दिने श्रीमाल वंशे सिंधुड़ गोत्र व. अभय राज भार्या आमलदे पुत्र चउ० ठकुरसीहेन भा० ठकुरादे पुत्र व. भारमल्ल प्रमुख परिवृतेन श्री आदि जिन विवं कारितं प्रतिष्ठतं श्रीखतर गच्छे श्री पूज्य श्री जिनहंस सूरिभिः। ( 448 ) सं० १५६६ वर्षे फागुण सुदि ३ सोमे ब्रह्माणीया गच्छे पहुरा हीरा भा. हीरादे पु. जीदा सोमा रूपा पुण्यार्थं श्री शांतिनाथ विवं का. प्रतिष्ठितं श्री गुणसुन्दर सूरिभिः अहिलाणी। ( 410 ) ॥ श्री पार्श्वनाथ स. १६०५ फागुन सुदी दसमी घरवडिया गोत्रे गागपत्नी त्वरमिनी पुत्र षेतु लधु प्रनमल गुरु श्री जिन भद्र सूरि रुद्रपला गच्छे १० श्री भावतिलक सूरिभिः प्रतिष्ठितं श्री समेत सिषर। ( 450 ) सं० १६१२ वर्षे ज्येष्ठ सु० ११ शनी उकेशवं से----। ( 41 ) .. सं० १६६० वर्षे फागुण वदि ५ गुरुवासरे महाराजाधिराज महाराजा मानसिंघ जी राजे श्री मूलसंघे आम्नाये बलात्कार गणे सरस्वती गच्छे कुंदकुंदाचार्यन्वये १० श्री बिई कीर्ति स्तदाम्नाय पंडेलयालान्वये पोस ॥ सं श्री होला मा० कोसिगदे पु० म० श्री कचराज भा० उमदे कोउमदे गुजरि पु० २ थातु दान स० श्रीरायत प्रा० रयणदे---पु. हरदास---भा० महिमादे लाड़मदे--।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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