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________________ (१०) रामचन्द्रजी का मंदिर। ( 400 ) सं० १४०६ वर्षे फागुन सु. ११ गुरी सूराणा गोत्रे सा० जतरा शु० सा. जगद मार्या जयत श्री पु. नरपाल रणमीरभ्यां मातृ भ. महावीर वि. का.प्र. श्रीधर्म घोष गच्छे श्री ज्ञान चंद्र सूरि शिष्य श्री सागरचंद्र सूरिभिः । ( 410 ) सं. ११५६ ज्येष्ठ वदि १२ शनी सूराणा गो० सा. अमर मा० अइहव दे सतसा ताला साल्हा श्रेयसे श्री पारर्वनाथ विका०प्र० श्रीधर्म घोष ग०म० श्रीमलय चन्द्र सूरिभिः॥ ( 11 ) सं० १९८१ वर्षे वैशाष पदि शुक्रे श्री उकेश वंशे मणी सा० पासर भार्या पाहण देवी सुत सा. सिवाकेन सा० सिधा मुख्य ? जिनोनुजः सहितेन स्वयसे श्रीआदिनाथ विवं श्री अंचल गच्छेश श्रीजय कीर्ति सूरीन्द्राणामुपदेशेन कारितंप्रतिष्ठत श्री संघेन॥ शुभं भवतु सर्वदा सर्व कुटुम्ब ॥ श्रीः॥ ( 412 ) सं० १५०७ वर्षे मार्गशिर सुदि २ शुक्रे श्रीमाल ज्ञातीय गोवलिया गोत्रे सा० हेमा ... पु० --वाल्हा उपा -... उपदेशेन विमलनाथ विवं का प्रति० पवीर्य गच्छे श्री यशोदेव सूरिभिः॥ ( 413 ) सं० १५४९ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ११ घेवरिया गोत्रे श्री माल बीलीज देवी गोवेद पु०पीमा पु० सा. सिंघण सुमेक आत्म पुण्यार्य कुंथुनाथ विवं श्रीमल धार गच्छे १० गुण कीर्ति सूरि प्रतिष्ठितं वा. हर्ष सुन्दर शिष्य उपदेशेन ।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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