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________________ (७६) पितलनाथ विवं कारित प्र० नागोरी तपागच्छे भ० को राजरत्न सूरिभिः वषषोर वास्त व्यःथी। (295) सं० १७०१ व मार्गशिर व० ११ दिने आगरा वास्तव्य भीमाल ज्ञातीय वढशाखीय सा० नानजी मा. गुजर--पुत्र सहीरानन्द भा. यमिन रंगदे नाम्ना स्वच पुत्र-- एवं प्रमुख कुटुम्व श्रेयोर्य श्री वासुपूज्य चविंशति पह कारितं प्रतिष्ठितं श्री तपागच्छे श्री ५ श्री विजयदेव सूरिप४ श्री विजय सिंह सूरिभिः पं० लाल कुशल लिः ॥ श्री । ( 296 ) सं० १८ वर्षे वैशाष सुदि३ युधे पीवी मेंभाजी श्री आदिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं सर्व समुदायेन। ( 297 ) सं० १७२० वर्षे मार्गशिर ----श्री शांतिनाथ विवं कारित । (298 ) सं० १०६५ ३० सु०२----पार्व ( 299 ) सं० १०५ व• फा०व० १४ प्र० तत्र श्री पार्श्वनाथ ---। (300) सं० १७७१ वर्षे शाके १९३६ वर्षे मगसिर सुदि १ युक्रे माखपूर वास्तव्य वीराणी गोत्रीय सा. वेणीदास तत्पुत्र सा० भीमसी तत्पुत्र सामाचंद वासी हाजीपुर पटणा
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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