SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शान्ति-निकेतन सत्य धर्म की जय हो जय। करुणा-केतन जैन धर्म की जय हो जय।। विश्व-मैत्री की भव्य-भित्ति पर, सत्य अहिंसा के खम्भो पर, टिका हुआ है महल मनोहर, मदा सचेतन सत्य धर्म की ॥१॥ अनेकान्त झडा लहराए, जिन प्रवचन महिमा महकाए, माम्य-भाव-सुपमा सरसाए , सकट-मोचन सत्य धर्म की ॥२॥ वर्ण, जाति का भेद न जिसमे, लिंग, रङ्ग का छेद न जिसमे, निर्धन, पनिक विभेद न जिसमे, समता-शामन सत्य धर्म की ॥३॥ कर्मवाद की कठिन समस्या, सुलझा देती तीव्र तपस्या, नही फलाप्ति ईश्वर वश्या, व्यक्ति-विकासन सत्य धर्म की ॥४|| शाश्वत अग्विल विश्व को जाना, नही किसी को कर्ता माना, 'तुलसी' जैन तत्त्व पहिचाना, जीवन-दर्शन सत्य धर्म की ॥५॥ नय-नोता उड जाना पर्म] [७३
SR No.010876
Book TitleShraddhey Ke Prati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy