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________________ सवत्सर भर का कार्यक्रम, निश्चित करवाता यह निरुपम । प्रतिरूप संघ का परिमार्जन, मंजुल मर्याद महोत्सव है ||६|| मुनियो को मिलते नये क्षेत्र, भक्तो को मिलते नये नेत्र | परिवर्तन वर्तन का साधन, मंजुल मर्याद महोत्सव है ||७|| घुल मिल ग्रक्षरमय एक पत्र, है धार्मिक जग का एक छत्र | करने क्षण-क्षण अमृत वर्पण, मजुल मर्याद महोत्सव है ॥ ८ ॥ 1 भिक्षु का भाव भरा मन्थन, श्री जयाचार्य का सद्ग्रन्थन । 'तुलसी' का सफल सुफल चिन्तन, मजुल मर्याद महोत्सव है || ६ || ५८ ] वि० सं० २०१५, मर्यादा महोत्सव, संथिया ( बंगाल ) [ श्रद्धेय के प्रति
SR No.010876
Book TitleShraddhey Ke Prati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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