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________________ २४ श्री भिक्षु का जीवन दर्शन, मजुल मर्याद महोत्सव है । जनता का सहज समाकर्षण, मजुल मर्याद महोत्सव है ।। सघर्षो का इतिहास भरा, आदर्शो का पथ हरा भरा । मुनिचर्या का शुभ सजीवन, मजुल मर्याद महोत्सव है ॥१॥ सुन्दर सगठन प्रतीक वना, निर्मल निरुपम निर्भीक बना । अनुशासन का पावन उपवन, मजुल मर्याद महोत्सव है ||२|| यम नियमहीन ग्रधुना युग में, निम्मीम निरवधिक इस जग मे । मर्यादित विधि का अनुमोदन, मजुल मर्याद महोत्सव है ||३|| नव जागृति का सन्देश सबल, ले प्राता प्रगति पथ परिमल । प्रतिवर्ष हर्प का नव यौवन, मजुल मर्याद महोत्सव है ||४|| शासन का भावित शुभ भविष्य, समुपस्थित करता सुगम दृश्य । तेरापथ का अभिनव दर्पण, मजुल मर्याद महोत्सव है ||५|| लय- महावीर प्रभु वे चरणो मे गुरु ] [५७
SR No.010876
Book TitleShraddhey Ke Prati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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