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________________ :७: तू मन मन्दिर में प्राजा, तेरापथ के अधिराजा, ओ ! भिक्षु ! भिक्षु-गणराजा, वह सांवरी सूरत दिखाजा, स्मृतिपट पर चित्र खिचा जा। तू मन मन्दिर में आजा ॥ दीपां मां के लाल दुलारे, वल्लूशाह के कुल उजियारे, मरुधर रत्न चमकते तारे, सारे महिमा महका जा। तू मन मन्दिर में प्राजा॥ त्याग-वृत्ति जो तुमने धारी, भर यौवन जग सम्पत्ति छारी, विषम समस्या हल कर डारी, सारी वह बात बता जा। तू मन मन्दिर में आजा ।। सत्याग्रह की सबल प्रणाली, चित्र ! कहां से ढूंढ निकाली, उत्पथ तज निज प्रात्म-उजाली, फिर से वह ज्योति जगा जा। तू मन मन्दिर में आजा ।। लय-मेरा रंग दे तिरंगी चोला २६] [श्रद्धेय के प्रति
SR No.010876
Book TitleShraddhey Ke Prati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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