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________________ ७८३ जाति न त समय पासति, ज समय पासति नो त समय जाणति । एव जाव णतपदेसि ॥ अट्ठारसम सतं (नवमो उद्देसो) १८० केवली ण भते । मणुस्से परमाणुपोग्गल "ज समय जाणति त समय पासति ? ज समय पासति त समय जाणति ? नो इट्टे समट्ठे ॥ १८१ सेकेणट्टेण भते । एव वच्चइ - केवली ण मणुस्से परमाणुपोग्गल ज समय जाति न त समय पासति ? ज समय पासति नो त समय जाणति ? गोयमा । सागारे से नाणे भवइ, अणागारे से दसणे भवइ । से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्चइ – केवली ण मणुस्से परमाणुपोग्गल ज समय जागति नो त समय पासति, ज समय पासति नो त समय जाणति । एव० जाव तपसि || १८२ सेव भते । सेव भते । त्ति ॥ नवमो उद्देसो भवियदव्व-पद १८३. रायगिहे जाव एव वयासी-ग्रत्थि ण भते । भवियदव्वने रइया- भवियदव्वनेरइया ? हंता प्रत्थि ॥ १८४ सेकेणट्टेण भते । एव वच्चइ - भवियदव्वने रइया- भवियदव्वने रइया ? गोयमा ! जे भविए पचिदिए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा नेरइएसु उववज्जित्तए । से तेणट्टेण । एव जाव थणियकुमाराण || १८५ प्रत्थि ण भते । भवियदव्व पुढविकाइया- भवियदव्वपुढविकाइया ? हता थि || १८६ सेकेणट्टेण ? गोयमा । जे भविए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवे वा पुढविकाइएस् उववज्जित्तए । से तेणट्टेण । ग्राउक्काइय-वणस्सइकाइयाण एवं चेव । तेउ-वाउवेइदिय-तेइदिय-चउरिदियाण य जे भविए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा २. स० पा० - जहा परमाहोहिए तहा केवली विजाव ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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