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________________ चोसम सत (दसमो उद्देसो) ६५१ सत्तमासपरियाए समणे निग्गये सणकुमार - माहिदाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । अट्टमासपरियाए समणे निग्गथे बभलोग-लतगाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । नवमासपरियाए समणे निग्गथे महासुक्क - सहस्साराण देवाण तेयलेस्स aas | दसमासपरियाए समणे निग्गथे प्रणय-पाणय- आरणच्चुयाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ | एक्कारसमासपरियाए समणे निग्गथे गेवेज्जगाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । बारसमासपरियाए समणे निग्गथे प्रणुत्तरोववाइयाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । तेण पर सुक्के सुक्काभिजाए भवित्ता तो पच्छा सिज्झति बुज्झति मुच्चति परिनिव्वायति सव्वदुक्खाण • प्रत करेति ॥ o १३७ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ॥ दसमो उद्देसो केवलि-पदं १३८. केवली ण भते ! छउमत्थ' जाणइ-पासइ हता जाणइ-पासइ ॥ १३६. जहा ण भते । केवली छउमत्थ जाणइ-पास, तहा ण सिद्धे वि छउमत्थ जाणइ-पासइ ? सिज्झति जाव प्रत । हता जाणइ पासइ || १४०. केवली ण भते । ग्राहोहिय' जाणइ पासइ ? एव चेव । एव परमाहोहिय, व केवल, एव सिद्ध जाव - १४१ जहा ण भते । केवली सिद्ध जाणइ पासइ, तहाण सिद्धे वि सिद्ध जाणइ ? पासइ हता जाणइ-पासइ ॥ १ स० पा० २ भ० १५१ । ३ छदुमत्थ (ता), छतुमत्थ ( ब ) । ४. आघोधिय ( अ, स), आवोघीय (क), होधिय (ख), अघोविय (ता), आधोविय ? (a ), आघोहिय (म ) | ५. परमावधिय ( अ ), परमावोहिय ( क); परमोविय (ख), परमहोहिय ( ता ), परमाधोविय (व), परमाघोहिय ( म, स ) ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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