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________________ नवमं सत (बत्तीस मो उद्देसो) ४१६ होज्जा, एव जाव श्रहवा तिणि ग्रहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे पकप्पभाए होज्जा । एव एएण कमेण पचह वि तियासजोगो भाणियव्त्रो, दोणि, सेस त चेव जाव ग्रहवा तिण्णि माए होज्जा' । श्रसत्तमाए । ग्रहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए तिण्णि जहा चउन्ह तियासजोगो' भणितो तहा नवर -- तत्थ एगो सचारिज्जइ, इह ' धूमप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्त अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करपभाए एगे वालुयप्पभाए दो पकप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रहवा एगे रयणापभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो प्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रसत्तमाए । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए दो सुक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए दो सवकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करपभाए एगे पकप्पभाए दो धूमप्पभाए होज्जा, एव जहा चउण्ह चउक्कसजोगो भणिश्रो तहा पचण्ह वि चउक्कसजोगो भाणियव्वो नवर - महिय एगो सचारेयव्वो, एव जाव ग्रहवा दो पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करम्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे वूमप्पभाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे पकप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करपभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्कर पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे १ तिय ० ( क ) । २ इमाहि ( अ, क, व, म, स), इमेहि (ता) | ३ त्रिसयोगजा भङ्गा २१० । ४ चतु सयोगजा भङ्गा १४० ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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