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________________ भगवई होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे घूमप्पभाए होज्जा । एव जहा रयणप्पभाए उवरिमाओ पुढवी चारिया तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाश्रो चारियव्वाम्रो जाव ग्रहवा एगे सक्क रप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा' ॥ २. पच भते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएण पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? -पुच्छा। गगेया । रयणप्पभाए वा होज्जा जाव आहेसत्तमाए वा होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि ग्रहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा दो रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रहवा दो रयणप्पभाए तिण्णि ग्रसत्तमाए होज्जा । अहवा तिण्णि रयणप्पभाए दोण्णि सक्करप्पभाए होज्जा, एव जाव आहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा । एव जहा रयणप्पभाए सम उवरिमपुढवी चारियानो तहा सक्करप्पभाए वि सम चारेयव्वाग्रो जाव ग्रहवा चत्तारि सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । एव एक्केक्काए सम चारेयव्वाओ जाव ग्रहवा चत्तारि तमाए एगे हेसत्तमाए होज्जा' । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए तिण्णि ग्रसत्तमाए होज्जा । अहवा अगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए दो ग्रसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो ग्रसत्तमाए होज्जा । श्रहवा एगे रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव हवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । हवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव : • चतु सयोगजा भङ्गा ३५ । २ द्विमयोगजा भङ्गा ८४ ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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