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________________ भगवई ७० ज समय इहभवियाउय पकरेति, णो त समय परभवियाउय पकरेति । ज समय परभवियाउय पकरेति, णो त समय इहभवियाउयं पकरेति । इहभवियाउयस्स पकरणताए णो परभवियाउय पकरेति । परभवियाउयस्स पकरणताए णो इहभवियाउय पकरेति । एव खलु एगे जीवे एगेण समएण एग ग्राउय पकरेति, त जहा-इहभवियाउय वा, परभवियाउय वा ॥ ४२२. सेव भते । सेव भते । त्ति भगव गोयमे जाव' विहरति ।। कालासवेसियपुत्त-पदं ४२३. तेण कालेण तेण समएण पासावच्चिज्जे कालासवेसियपुत्ते णाम अणगारे जेणेव थेरा भगवतो तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता थेरे भगवते एव वयासीथेरा सामाइय न याणति, थेरा सामाइयस्स अट्ठ न याणति । थेरा पच्चक्खाण न याणति, थेरा पच्चक्खाणस्स अट्ठ न याति । थेरा सजम न याणति, थेरा सजमस्स अट्ठ न याणति । थेरा सवर न याणति, थेरा सवरस्स अट्ठ न याणति । थेरा विवेग न याणति, थेरा विवेगस्स अट्ठ ण याणति । थेरा विउस्सग्ग न याणति, थेरा विउस्सग्गस्स अट्ठ न याणति ।। तए ण थेरा भगवतो कालासवेसियपुत्त अणगार एव वदासीजाणामो ण अज्जो । सामाइय, जाणामो ण अज्जो । सामाइयस्स अटठ । •जाणामो ण अज्जो | पच्चक्खाण, जाणामो ण अज्जो | पच्चक्खाणस्स अट्ठ । जाणामो ण अज्जो । सजम, जाणामो ण अज्जो । सजमस्स अट्ठ । जाणामो ण अज्जो । सवर, जाणामो ण अज्जो | सवरस्स अट्ठ । जाणामो ण अज्जो । विवेग, जाणामो ण अज्जो । विवेगस्स अट्ठ । जाणामो ण अज्जो | विउस्सग्ग°, जाणामो ण अज्जो विउस्सग्गस्स अट्ठ ।। ४२५. तते ण से कालासवेसियपुत्ते अणगारे ते थेरे भगवते एव वयासी-जइ५ ण अज्जो | तुम्भे जाणह सामाइय, तुम्भे जाणह सामाइयस्स अट्ठ जाव' जइ ण अज्जो | तुन्भे जाणह विउस्सग्ग, तुन्भे जाणह विउस्सग्गस्स अट्ठ। के भे' १ भ० ११५१ । २. भगव (अ, ब)। ३. सामातियस्स (ता)। ४. स० पा०-अट्ठ जाव जाणामो। ५ जति (अ, क, व, म)। ६. भ० ११४२३ । ७ ते (ब, म)।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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