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________________ पढमं सत (नवमी उद्देसो) ६६ हता गोया । कोहत्त प्रमाणत्त' ग्रमायत्त प्रलोभत्त समणाण निग्गथाण ० पसत्थ || कखापदोस-पदं ४१६. से नूण भते । कखापदोसे खीणे समणे निग्गथे अतकरे भवति, प्रतिमसरीरिए वा ? o मोहे वपुवि विहरित्ता ग्रह पच्छा सवुडे काल करेइ ततो पच्छा सिज्झति' 'वुज्झति मुच्चति परिनिव्वाति सव्वदुक्खाण त कति ? हता गोयमा । कखापदोसे खीणे' समणे निग्गथे अतकरे भवति, प्रतिमसरीरिए वा । वहुमहे वियण पुव्वि विहरित्ता ग्रह पच्छा सवुडे काल करेइ ततो पच्छा सिज्झति बुज्झति मुच्चति परिनिव्वाति सव्वदुक्खाण° प्रत करेति ।। इह-पर- भवियाउय-पदं ४२०. अण्णउत्थिया ण भते । एवमाइक्खति, एव भासति, एव पण्णवेति, एव परूवेति - एव खलु एगे जीवे एगेण समएण दो प्राउयाइ पकरेति, त जहाइहभवियाजय' च, परभवियाउय च । ज समय इहभवियाउय पकरेति, त समय परभवियाउय पकरेति । ज समय परभवियाउय पकरेति, त समय इहभवियाउय पकरेति । पकरणयाए परभवियाउय इहभविया यस्स परभवियाउयस्स पकरेति, पकरेति । पकरणयाए भविया एव खलु एगे जीवे एगेण समएण दो प्राउयाइ पकरेति, त जहा - इहभवियाउय च, परभवियाउय च ॥ ४२१ से कहमेय' भते । एव L गोयमा । जण्ण ते ग्रण्णउत्थिया एवमाइक्खति जाव' एव खलु एगे जीवे एगेण समएण दो प्राउयाइ पकरेति, त जहा - इहभवियाउय च, परभवियाउय ? च । जे ते एवमाहसु मिच्छ ते एवमाह । ग्रह पुण गोयमा । एवमाइक्खामि', • एव भासेमि, एव पण्णवेमि, एव परूवेमि - एव खलु एगे जीवे एगेण समएण एग आउय पकरेति, त जहा - इहभवियाउय वा, परभवियाउय वा । १ स० पा० - अमारणत्त जाव पसत्य । २ अहा ( अ, ता, व, म) । ३ स० पा० - सिज्झति जाव प्रत । ४ कख ० ( अ, व, स ) । ५ स० पा० - खीणे जाव प्रत । • आउग (क) । ●मेत (ता, म ), मेव ( स ) 1 ६ ७ ८. भ० १।४२० । ६ स० पा० – ऐवमाइक्खामि जाव परूवेमि ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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