SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1057
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवई नो देवाउयं पकरेति । एव अकिरियावादी वि ग्रण्णाणियवादी वि इयवादी वि ॥ ३६ सलेस्सा ण भते ! किरियावादी अणतरोववन्नगा नेरइया किं नेरइयाउय पकरेति – पुच्छा | गोयमा । नो नेरइयाउयं पकरेति जाव नो देवाउय पकरेंति । एव जाव वेमाणिया । एवं सव्वट्ठाणेसु वि ग्रणतरोववन्नगा नेरइया न किचि वि ग्राउय पकरेति जाव प्रणागारोवउत्तत्ति । एव जाव वेमाणिया, नवर - ज जस्स ग्रत्थि त तस्स भाणियव्व ॥ प्रणतरोववन्नगा नेरइया कि भवसिद्धीया ? अभव किरियावादी ण भते सिद्धीया ? गोयमा । भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया ॥ ६६६ ४० ४१ अकिरियावादी ण - पुच्छा | गोयमा ! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि । एव अण्णाणियवादी वि वेणइयवादवि ॥ ४२ सलेस्सा ण भते । किरियावादी प्रणंतरोववन्नगा नेरइया कि भवसिद्धीया ? अभवसिद्धीया ? गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया । एवं एएण अभिलावेण जहेव ग्रोहिए उद्देसए नेरइयाण वत्तव्वया भणिया तहेव इह वि भाणियव्वा जाव प्रणागारोवउत्तत्ति । एव जाव वेमाणियाण, नवर - ज जस्स प्रत्थि त तस्स भाणियव्व । इम से लक्खण——जे किरियावादी सुक्कपक्खिया सम्मामिच्छदिट्ठीया एए सव्वे भवसिद्धीया, नो भवसिद्धया | सेसा सव्वे भवसिद्धीया वि भवसिद्धया वि ॥ ४३ सेव भते । सेव भते । त्ति | तड़ो उद्देसो ४४. परपरोववन्नगा ण भते । नेरइया किरियावादी० ? एव जहेव श्रोहि उद्देसो तहेव परपरोववन्नएस वि नेरइयादीग्रो तहेव निरवसेस भाणियव्वं, तव तियदंडगसगहियो || ४५. सेव भते । सेव भते । त्ति जाव विहरइ ॥
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy