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________________ उत्तर--जिस पौद्गलिक पदार्थ की जिस को इच्छा हो उसके मिल जाने से ही उस आत्मा को क्षण भर के लिये समाधि आ सकती है / परंच वह समाधि क्षण स्थायी होने से त्याज्य है. अतएव : द्रव्यसमाधि की निवृत्ति करने के लिये ही प्रधान और वर पद दिये गए हैं, जिस से यह स्वतः ही सिद्ध हो जाता है कि-जो परम ज्ञान की समाधि है, उसी की ही मुझे प्राप्ति हो। प्रश्न- जब सिद्ध परमात्मा से प्रारोग्य बोधिलाभ और सब से बढ़ कर ज्ञान की समाधि की प्रार्थना की जाती है, तो क्या यह निदानकर्म नहीं है ? उत्तर-इन पवित्र भावनाओं को निदान कर्म नहीं कहा जाता, कारण कि यह प्रार्थना वाभावना कर्मवन्धन का कारण नहीं है; अतएव यह निदानकर्म नहीं है, कर्मवन्धन के कारण-मिथ्यात्व, अविरत, कषाय, दुष्टयोग, वा प्रमादादि प्रतिपादन किये गए हैं / उक्त भावना में उक्त कारणों के न होने से इसे निदान कर्म नहीं कहा जाता। प्रश्न-यदि निदानकर्म नहीं है तो क्या इस प्रकार के पाठ करने से आरोग्यादि पदार्थों की प्राप्ति हो सकती है ? उत्तर-सिद्ध परमात्मा तो वीतराग पद में स्थित होने से राग और द्वेप से रहित हैं; अतः वे तोफल प्रदाता हो ही नहीं सकते। तथा यदि प्रार्थना द्वारा ही वह शुभ कर्म के फल दे सकते हैं तो फिर कर्मों का फल क्या हुआ? अतएव उक्त प्रार्थना से चित्त शुद्धि होती है और असत्यामृपा भाषा का वाक्य होने से ही उक्त पाठ युक्ति संगत माना जाता है। प्रश्न-क्या प्रार्थना करने से परमात्मा फल न देगा? उत्तर-परमात्मा सर्वज्ञ और सर्वदर्शी होने से फल-प्रदाता नहीं है। अतएव वह फलप्रदाता नहीं माना जाता। प्रश्न-तो फिर प्रार्थना करने से ही क्या लाभ है ? उत्तर-चित्त की शुद्धि, आस्तिकता तथा अपने जीवन को पवित्र और पुरुषार्थी बनाना एवं धार्मिक बल उत्पादन करना; जिस से अपना कल्याण करते हुए अन्य अनेक भब्यात्माओं का कल्याण हो। प्रश्न-जव सिद्ध परमात्मा की भक्ति की जाती है तब क्या उस समय जीव को समाधि की प्राप्ति हो जाती है ? / उत्तर-हां! उस आत्मा को भक्ति रस में निमग्न होने से उन के गुणों में अत्यन्त अनुराग होता है / उस अनुराग के कारण ही वह जीव भक्ति रस में *-पदार्थों का समभाव द्वारा एकत्व हो जाना, उसे द्रव्य समाधि कहते हैं।
SR No.010871
Book TitleJain Tattva Kalika Vikas Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages328
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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