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________________ KASEICE - - ReasoLEE ( 10 ) माना गपासका कारण क्या है। सारे समाभाग में कर माता किशास में उपचार नप मत से पाठ प्रकार से मारमा पर्यन किये गए से कि मम्पारमा २फपापारमा योगारमा पयोमारमा मामारमा पर्यनारमा 7 बारिवारमा और सबसपीरिमा / सस्पान पर कर्म के परने पासे पापात्मा भीरयोगास्मा पी प्रतिपादन किये गए मतुमभ्य मारमा / त्पा जिस प्रकार कपापारमा और योगास्मा इम्प कर्म के पर्चा मागे गए ठीक रसी प्रकार सम्पपुरस का मोल भीरकती मारमावण जिस प्रकार मारकमको बीच के रागादि मावठीक उसी प्रकार सुन पुग्मादिकेमसुमन करन पाने मी बीपके रामारि मावही / परन्तु म्पबहारनप के मत से कर्म करने पाहा बीय ही मनीष नही है। मापनी इस बात का भी मान रखना चाहिए कि वह मीचा फेवस मनीष कर्ता नही फितु मनीष मोर पुरुष का सम्पम्प सपनीकर्ता / कहा जाता है। जिस प्रकारकुम्मकार परका को माना जाता है ठीक उसी प्रकार मीप के फर्मयुक सम्पपसाप तो को बातेसलिये सियाम्त पर मिला कि भीष भीर में। का संयोग प्रचारूप (कम) से अनादि मानना युफियुद्ध। मम मम या मीरस सान पर उपसित वाफिकर्म सियान्त मानने का मुन्पोरेम पास प्रभसत्तर में का गावाजकिकमवार के मानने का मुम्पोरेस्प स्थापलम्पी पानातपायो म्पाहि मायना भारा अपने अशुभ कमोरे फरसे पचना पाते रमको शिक्षित करणापास प्रकार की भूत में म परें। कायम PEETAIEEEEPER
SR No.010866
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
Publisher
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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