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________________ वितान पर एक तटस्थ चिन्ता किया है तथा हमारे श्रेष्ठ विचारो और भावनात्रा को प्रधागति में पहुँचाया है ।" इसी प्रकार उद्भुद विचारक वर्नाड शॉ (Bernard Shaw ) के मतव्य के अनुसार - Science is always wrong It never solves pro blem without creating ten more अर्थात् "वितान हमेशा गलत तरीके पर जाता है । यह विमान समस्या का समाधान तो नही करता है, किन्तु उस समस्या को दस गुणी और अधिक वढा देता है ।" प्रसिद्ध चितक रोमारोलां (Roma Rolland) के अनुसार —- The world is progressing indeed, but which way ? Not, of course, towards constructive advancement but towards a horrible destruction And modern science with all its empty boasts of constructive and progressive forces, is leading the world towards a physical, moral and intel lectual decay श्रथात् "विश्व नि मदेह उनति तो कर रहा है, लेकिन किस ओर ? निमदेह रचनात्मक उन्नति के वजाय वह एक भयकर विनाश को घोर बढ़ रहा है और यह धाधुनिक विज्ञान उसकी समस्त विन्तु श्रात्म श्लाघी रचनात्मक एवं प्रगतिशील शक्तिया से विश्व का शारीरिक, नतिक एव वौद्धिक क्षय की भोर से जा रहा है ।" प्रस्तु घार भी प्राय विचारका ने उपयुक्त प्रारोपो के कारण ही विज्ञान को हीन व घृणा की दृष्टि से देखने प्रयास किया है। होरोनिमा एप नागामारी विभीषिका युद्धोम प्रयुक्त होने वाल माधु निकतम परमाणु प्रस्न, टप, आणविक प्रक्षेपणास्त्र व पनडुब्बियों मादि विज्ञान की हो दन है। इसके पीछे युद्ध-पीडित मानव की दुखभरी ग्राहा का उद्वेग नो प्रसत्य नहीं । वह भविष्य के विनाश का अत्रदूत या मधवार नी सुष्टि करनेवाला कहा जा सकता है । उक्त तथ्य व सिद्ध होता है कि मानवजाति नानविष्य अव वनानियों के हाथ में है । व चाह तो गुरभावे उन्नत सिर पर पहुँच रात हैं और ना तो विनाश के तम भी बक्चे हैं । 75 वस्तुत' दगा जाए तो विवाद के इस मगन रूप सष्टा कुछ और ही व्यक्ति है जिनका व मनुचित उपयोग कर विमान का ममलवारी पाषित
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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