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________________ दस - - - विज्ञान का सार्वभौम प्रभाव धर्म विज्ञान द्वारा प्रभावित होने के कारण तदनुरूप प्रचलित दर्शनो को भी विज्ञान का मार्ग निर्देशक मानना पड़ा । जिन मूल दार्गनिक तथ्यो पर वैज्ञानिको को आपत्ति थी वह उनने दार्शनिको के समक्ष रख दी। चाहे इनने उनका मत मान्य न रखा, पर विज्ञान का लोहा तो मानने ही लगे । राजनीति, जो एक अचिर स्थायी तत्त्व है, तो विज्ञान की दासी ही बनी हुई है। परिवर्तन विज्ञान पर ही निर्भर है। कहने का तात्पर्य है कि चित्र, संगीत, वाद्य, लेखन, सम्भाषण, गिल्प और शिक्षा आदि कलापो के प्रत्येक क्षेत्र पर विज्ञान ने अपना इतना प्रभाव जमाया कि विना इसके कार्यक्षेत्र को गति नहीं मिलती थी । यहाँ तक कि खान-पान, रहन-सहन, यातायात, युद्धकला, दर्शन-स्पर्शन आदि इन्द्रियजन्य सभी विषयो पर विज्ञान का अक्षुण्ण प्रभाव दृष्टिगोचर होता है । प्रत्येक देश की संस्कृति और सभ्यता के समस्त उपकरण विज्ञान की छाया मे पनप रहे है। विश्व को निकट लाने में विज्ञान का हाथ मानव-समाज पर विज्ञान का सर्वोत्कृष्ट और सीधा जो प्रभाव पड़ा है वह है विश्व के समस्त राष्ट्रो मे नकट्य स्थापित करना । यही कारण है आज वैज्ञानिक दृष्टि से माना जाने वाला सारा विश्व 19 करोड मील क्षेत्रफल वाली पृथ्वी पर एक सयुक्त परिवार के समान अपने-आपको अनुभव करता है । द्रुतगामी साधनों ने विभिन्न देशो मे सामीप्य स्थापित कर यह सिद्ध कर दिया है कि चाहे कोई राष्ट्र या उसका प्रमुख व्यक्ति कितना ही बड़ा और गक्ति-सम्पन्न क्यो न हो, पर वह एकाकी अपना राष्ट्रीय कार्य सहृदयतापूर्वक सम्पन्न नही कर सकता, या अपने को अन्य राष्ट्री मे पृथक नही रख सकता। इसीलिए तो प्रत्येक क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय सह्योग दिनानुदिन बढ़ते जा रहे है । यद्यपि इस पवित्र कार्य में संकीर्ण
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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