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________________ याधुनिक विज्ञान और अहिंसा सार्थक और समान जीवन की ओर उत्प्रेरित भी करती है । इन दोनो शक्तियो ने अपनी चमत्कृति द्वारा मानव समाज को खूब प्रभावित किया है | विज्ञान के अद्भुत रहस्यों से मानव जगत भलीभांति सुपरिचित है तो अहिसा ने भी अपनी व्यक्तिस्वातत्र्यमूलक समत्व की मौलिक भावना का परिचय देकर मानव समाज को अनुप्राणित किया है । मानव जगत् के भौतिक क्षेत्र को विज्ञान ने इसलिए अधिक प्रभावित किया है कि सामाजिक जीवन-यापन की प्रक्रियाओ का सीधा सम्बन्ध इसी से है, क्योकि सामाजिक सगठन और अन्य आवश्यक शक्ति स्रोतो को सुदृढ बनाये रखने के लिए विज्ञान अत्यन्त आवश्यक शक्तिपुज है । इसकी प्राप्ति के लिए मानव को कठिन साधनाओ का सामना करना पडा है । चिन्तन, मनन एव प्रयोगो द्वारा इसकी सार्थकता पर जहाँ गम्भीर गवेषणा विवक्षित रही है, वहाँ ग्रहिसा तत्त्व की उपलब्धि के लिए भी ऋषि-मुनियों को तपोमय जीवन व्यतीत करना पडा है । ग्रहिसा का सीधा सम्बन्ध प्राध्यात्मिक शक्ति अर्थात् आत्मपरक होकर भी उसका स्वरूप सामाजिक ही रहा है। भौतिक प्राकृतिक शक्ति, जो पौद्गलिक शक्ति का ही एक अग है, पर आध्यात्मिक शक्ति का नियन्त्रण, सामाजिक शाति के लिए बनाये रखना आवश्यक है और यह अहिंसा प्राध्यात्मिक शक्ति द्वारा ही सम्भव है । अहिंसा के सफल प्रयोगो द्वारा सहस्राब्दियों तक मानव समाज ने ही नही, अपितु, प्राणी मात्र ने शान्ति और सन्तोष का अनुभव किया है । ये शक्तियाँ ही राष्ट्र की अनुपम सम्पत्ति है, जिनके सदुपयोग पर मानव समाज का वास्तविक गठन अवलम्बित है । तीत इसका साक्षी है कि इनकी साधना मे मानव ने कभी सफलता और कभी विफलता ही प्राप्त की है । 2
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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