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________________ हिमव प्रयोग के हेतु धम और विज्ञान में सामजस्य हो सम्बध स्थापित करने मे बाधाएँ आती हैं । कारण कि धम का सम्बन्ध श्रनात तत्त्व श्रात्मा से है और विमान का सम्बध पौदगलिक या दृश्य जगत से । यह वपम्य दो दिशाओ की ओर मनुष्य को उत्प्रेरित करता है। धम एक्स्व का सूचक है तो विमान दूध की ओर मवेत करता है। इतना होते हुए भी आधुनि दष्टि से जय हिंसा के द्वारा विनान पर नियंत्रण रखने के प्रयत्न हो रहे हैं तो धम के द्वारा भी इसे नियत्रित किया जा सकता है । हाँ, विज्ञान से मामजस्य स्थापित करने वाला घम केवल पारम्परिक या कालिक तथ्य न होकर विशाल दष्टि सम्पन तथ्य है। धम वा सोधा तात्पय केवल इतना ही है कि मानव जाति का अभ्युदय हो, सर्वोदय हो । विज्ञान इसका साघन हो । 135 धम और विज्ञान का समुचित सम्बाध हो जाने पर मानव को वास्तविव सुस-याति को प्राप्ति होगी । धम या विशिष्ट दृष्टि रहित विज्ञान मानव समाज मे वपम्य उत्पन्न कर सकता है। विज्ञान वाह्य विषमताश्रा को मिटाने में सक्षम होगा तो धम श्रातरिय विकारा को दूर करने में सहायक होगा | विज्ञान नित नय माधना का उत्पादन है तो धम उसका व्यवस्था पत्र । निपुल उत्पादन भी उचित वितरण के प्रभाव में एक समस्या बन जाता है। ऐसी अवस्था मे जीवन का संतुलन दोना के सामजस्य पर ही अवलम्बित है। श्री ए० एन० व्हाईट हैड कहते हैं "धम के अतिरिक्त मानव जीवन बहुत ही अल्प प्रमानताओं या केंद्रबिंदु है ।" श्रत विमान के साथ घम का सामजस्य मानवता की रक्षा के लिए अनिवार्य है । कतिपय विनावा मतव्य है कि धम और विज्ञान वा सामजस्य तो श्रमृत और विष ये मयोग के समान है। धम हृदय वो वस्तु है । विमान मस्ति । धम श्रद्धा मोर विश्वास पर पनपता है तो विमान प्रत्यक्ष प्रयोग पर पर विचारणीय प्रश्न यह है विप्राकतिक शक्ति सम्पन्न विज्ञान प्रनात तथ्यो को प्रत्यक्ष करा देता है तो घम जमी सजीव वस्तु वा यदि जड के साथ चाह किसी भी रूप में सयागात्मव या नियत्रणमूलक सम्पर्क हा जान पर विज्ञान का महत्व व जायेगा और विकारaur वैमनस्य मूलर भावनाएँ भी समाप्त हो जाएँगी । पर, शत यह है नि वह धर्म भी
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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