SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 149
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुपम व्यक्तित्व १२७ वर्ष तक के लिए देश को श्रावश्यक है । देश के जागरण में उनके प्रयत्न से जो प्रेरणा मिलेगी, उससे देश का बहुत-कुछ हित होगा । यह केवल मेरी अपनी हो धारणा नहीं है, हजारों व्यक्तियो वा मुझ जैसा ही विश्वास प्राचार्यश्री तुलसी के प्रति है । समाज के लिए यदि भगवान् महावीर की आवश्यकता थी तो बुद्ध के अवतरण से भी देश ने प्रेरणा पाई थी। उसी प्रकार समय-समय पर इस पुण्य भू पर अवतरित होने वाले महापुरुषों ने अपने प्रेरणास्पद कार्य से इस देश का हित चिन्तन किया। उस हित चिन्तन की आशा और सम्भावना से प्राचार्यश्री तुलसी हमारे समाज की उस सीमा के प्रहरी सिद्ध हुए हैं. जिससे समाज का बहुत हित हो सकता है । मेरी दृष्टि में उनके माचार्य-काल के ये पच्चीस वर्ष कई कल्प के बराबर हैं। हजारों व्यक्ति इस भूमि पर जन्म लेते भीर मरते हैं। जीवन के सुख-दु:ख और स्वार्थ मे रह कर कोई भी यह नहीं जानता कि उन्होंने स्वप्न में भी समाज पर कोई हित किया। इस प्रकार के क्षुद्र जीवन से आगे बढ कर जो हमारे देश में महामनस्वी बन कर प्रेरणा प्रदान कर सके हैं, ऐसे व्यक्तियों में प्राचार्य तुलसी हैं। इनकी देश को युगों तक प्रावश्यकता है । प्रमुख शिष्य प्राचायें तुलसी के जितने भी शिष्य हैं, वे सब प्रयाशक्ति इस बात में लगे रहते हैं कि प्राचार्यत्री ने जो मार्ग ससार के हित के लिए खोजा है, उसे घरघर तक पहुँचाया जाए। इस कल्पना को साकार बनाने के लिए मुनिश्री नगराजजी मुनिश्री बुद्धभल्लजी, मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी प्रादि अनेक उनके प्रमुख शिष्यों ने विशेष यत्न किया है । ऐसा लगता है कि जो दीप प्राचार्यजी ने जला दिया है, वह जीवन को मथमी बनाने की प्रक्रिया में सदैव सफल सिद्ध होगा। मेरी यही हार्दिक कामना है कि प्राचार्य तुलसी वा धनुषम व्यक्तित्व सारे देश का मार्ग-दर्शन करता हुआ चिर स्थायी शान्ति की स्थापना मे सफल हो ?
SR No.010854
Book TitleAacharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy