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________________ मामाग्री मुरमी प्रयोग मागे ममा !-"जो लोग समस्याम देने को मा . सुमित पारमो गाविले पानी से मार डोना। पर प्रसार का मामा पोको पानी पीने पाहोगी। यह अमित यह होता कि यह प्राती भूष को परमता पौरमा पानी न पीने का पर्म का त्याग करने को माहने वालों को माहिए बनताको धर्म नाम पर की हए विचारों को छोरा गिगा. मंगरने को गोल नहै।" पर्म का मोवोसम्म मुगेध नगमे होने इनों की प्यासा कोई-"प है गाय को मोर, पामा को जानकारी प्राने स्वरूप को पहषान, यही सो धर्म है। गही मयं यदि धर्म है तो वह यह नहीं मिलाता कि मनुष्य मनुष्य साधनही गिललाराकिनी के मार से मनुष्य छोटा पाया है। धर्म नहीं मिलाना कि कोई किमी का शोषण करें। धर्म यह भी नहीं कहता कि वाह्य प्राहावर प्रपनाकर मनुष्य प्रस्ती चेतना को सो बैठ । किसी के प्रति दुभाबना रखना भी यदि पमं में शुमार हो तो वह धर्म किस काम मा । म धर्म से कोसों दूर रहना बुद्धिमत्तापूर्ण होगा।" प्राज राजनीति का बोलबाला है। ऐमा प्रतीत होता है कि 'राज' को पेन्द्र में रस कर सारी नीतियां बन मोर चल रही है। जब कि राहिए यह कि केन्द्र में मनप्प रहे मोर सारी नीतियो उसी को लक्ष्य में रख कर सचालित हों। उस अवस्था में प्रमुखता मानव को होगी और यह तया मानव-नीति राज और राजनीति के नीचे नही, ऊपर होगी । पाज सबसे अधिक कठिनाइयाँ मौर गन्दगी इस कारण फैली है कि राजनीति जिसका दूसरा मथं है-सत्ता, पर, लोगो के जीवन का चरम लक्ष्य बन गई है और वे सारी समस्यामो का समाधान उसी में सोजते हैं। कहा जाता है कि सर्वोत्तम सरकार वह होती है जो लोगों पर कम-से-कम शासन करती है। लेरिन इस सच्चाई को बसे भुला दिया गया है। इस सम्बन्ध में प्राचार्यश्री का स्पष्ट मत है-"राजनीति लोगों के बरूरत की वस्तु होती होगी। किन्तु सबका हल उसी में वंदना भयंकर भल है। पाज राजनीति सत्ता और अधिकारों को हथियाने की नीति बन रही है । इसीलिए उस पर हिंसा हावी हो रही है। इससे ससार मुम्मो तब होगा, कर ऐसी राजनीति घटेगी और प्रेम, समता तथा भाईचारा बढेगा।"
SR No.010854
Book TitleAacharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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