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________________ माचार्यश्री तुलसी का सन्देश देता है। अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति प्राइजन होवर और सोवियत प्रधानमन्त्री थी निकिता स्थचव के मिलन के अवसर पर प्राचार्यश्री तुलसी ने शान्ति मोर मैत्री का जो सन्देश दिया था, उसे विस्मन नहीं किया जा सकता। अन्तर्राष्ट्रीय वनाव मौर सघर्ष को रोकने की दिशा मे मणुव्रत-भान्दोलन के प्रवक आचार्यश्री सुलसी को उल्लेखनीय सफलता मिली है। उन्होने विभिन्न धौ और विश्वासो के मध्य समन्वय स्थापित कराने का प्रयास किया है। यही भाचार्यश्री तुलसी के अणुव्रत-आन्दोलन की सबसे बड़ी विशेषता है । विश्व शान्ति के प्रसार में उल्लेखनीय योगदान अन्तर्राष्ट्रीय विचारकों के मत में प्राचार्यश्री तुलसी ने पणुयत के माध्यम से विश्व-शान्ति और सद्भावना के प्रसार में उल्लेखनीय योगदान किया है। हिंसा को दहातो हुई ज्वाला पर वे पहिमा का शोतल उस छिड़क रहे हैं। पाचार्यश्री तुलसी का अणुव्रत-भान्दोलन मब वेवल भारत तक ही सीमित नहीं है, गलिक उसका प्रसार विदेशों में भी हो गया है। हिमालय से कन्याकुमारी तक सम्पूर्ण भारत का पैदल भ्रमण करके प्राचार्यश्री तुलसी ने प्रणवत का जो सन्देश दिया है, उससे राष्ट्र के चारित्रिक उत्थान में मूल्यवान सहयोग मिला है। अगर समार के सभी भागों में लोग प्रणुदतों को पहण करें तो युटको सम्भावना बहुत मंगों तक समाप्त हो जाएगी। विश्व.पुर को रोकने के लिए पाचार्यश्री तुलसी का प्रणवत एक प्रमोष पस्त्र है। यूरोप में पलने बारे 'नतिक पुनस्थान मान्दोसन' की तुलना में प्रणुन पारदोलन का महत्व पधित है । मगर संसार के विशिष्ट राजनीतिज्ञ प्रणवतों के प्रति अपनी भाषा प्रार करें तो पुर का निवारण करना मासान हो माता है। कनेी, भकमिसन, दगाल कोष से राजनीतिम जिस दिन प्रणात पहण कर मेंगे, उमो दिन पुरीसम्माता धमाप्त हो जायेगी।
SR No.010854
Book TitleAacharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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