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________________ तेजोमय पारदर्शी व्यक्तित्व मरने प्रश्न का जो उत्तर मिला, उमे मैं सोचे और सटप में यहाँ लिख दूं। इस पार्थिव संसार में, साधारण मनुष्यो के लिए मानव प्राणियो पर देवी प्रभाव किस प्रकार काम करता है, यह मालम करना प्रासान नहीं होता। जहाँ तक सामान्य जन का सम्बन्ध है, तीव्रता और प्रकार का प्रसार प्रात्मा के पान्तरिक विकास पर निर्भर करता है जो मशाल-बाहक का काम करता है। मशाल की ज्योति मशालवाहक की प्रान्तरिक शक्ति के परिमाण पर मन्द या तीव्र होती है । जरूरतमन्दी और पीडितों में श्री रामकृष्ण के उपदेशो का प्रचार करने के लिए असीसी के सत फासिस जैसी सममित प्रात्मा की मावश्यवता थी। इसी प्रकार भाचार्यश्री भिक्षु ने तेरापथ की स्थापना की। इसलिए मुझे अपने प्रश्न का उत्तर प्राचापंथी तुनपी के व्यक्तित्व में खोजना पडा । दीक्षा-समारोह के पहले मैं उनसे मिल चुका था। उन्होंने सुना था कि बगाल के एक पत्रकार पाये हैं। उन्होने दीक्षाथियों के चुनाव को विधि और दीक्षा के पहले की सारी क्रियाएं मुझे समझाने की इच्छा प्रकट की। इसका यह कारण था कि उनके साधु समाज के उद्देश्यो पौर प्रवृत्तियो के बारे में कुछ अपवाद फैलाया गया था। उन्हें यह जानकर बडी प्रसन्नता हुई कि मैं हिन्दी अच्छी तरह बोल भोर समझ सकता हूँ और उन्होने सारी विधि मुझं विस्तार से समझा दी । भक्त लोग दर्शन करने और पूज्य प्राचार्यश्री के प्राशार्वाद प्राप्त करने के लिए प्राते रहे और इमसे बीच-बीच में बाधा पडती रही : वे भक्तो को भागी दि देते जाते पौर शान्तिपूर्वक दीक्षा की विधि विस्तार से समझाते रहे। अन्त मे उन्होंने हमने हुए मुझे कोई प्रश्न पूछने के लिए सकेत किया । मेरे मस्तिष्क में अनेक प्रश्न थे, किन्तु उनमें से दो मुख्य पोर नाजुक थे; कारण उनका सम्बन्ध उनके धर्म से था। काफी सोच के बाद मैंने कहा कि यदि मेरे प्रश्न प्रापत्तिजनक प्रतीत हों तो वे मुझे क्षमा कर दें। मैंने कहा कि मैं दो प्रश्न पूछना चाहता हूँ और मुझे भय है कि उन पर मापको पुरा लग मुकता है। इस पर उन्होंने कहा कि यदि प्रश्न ईमानदारी से पूछोगे वो बुरा लगने को कोई बात नहीं है । तब मैंने प्रश्न पूछे। दो प्रश्न. पहला प्रश्न जीवन के प्रकार मौर मेरी विनीत मान्यता के अनुसार पाप
SR No.010854
Book TitleAacharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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