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________________ वारजावनानी सद्याय. (३) - - - - - - - - - - -- - -- - - - - -- - - ॥ ढाल वीजी॥ ॥ राग रामगिरी, राम नणे हरि ऊठियें । ए देशी ॥ धीजी अशरण जावना, जावो हृदय मकार रे।। धरम विना परनव जता, पापें न सही श पाप रे ।। जाश्श नरक ज्वार रे, तिहां तुज कवण आधार रे ॥१॥ साल सुरंगा रे प्राणीया।। मूकने मोह जंजाल रे, मिथ्यामति सवि टाल रे, माया आल पंपाल रे ।। ला॥॥ मात पिता सुत कामिनी, नार नयणि सहाय रे ॥ में में करतां रे अज परें, कौ ग्रह्यो जीउ जाय रे ॥ श्राडो कोइ नवी थाय रे, फुःख न लीये वहेंचाय रे ।। ला ॥३॥ नंदनी सोवन डूंगरी, आखर नावी कोकाज रे ।। चक्री सुजूम ते जल धिमां, हा युं खट खंग राज रे || वूड्यो चरम जहाज रे, देव गया सवि नाज रे, लोनें गइ तस लाज रे । लामा छीपायन दही द्वारिका, बलवंत गो विंद राम रे ॥ राखी न शक्यारे राजवी, मात पिता सुत धाम रे ॥ विहां राख्यां जिननाम रे, शरण की नेमिखाम रे ।। व्रत लेश् अनिराम रे, पो होता शिवपुर ठाम रे ।। ला ॥५॥ नित्य मित्र सम देहड़ी, सयणां पर्व सहाय रे ॥ जिनवर धर्म उगारसे, जिम ते वंदनिक नाय रे । रा खे मंत्रि उपाय रे, संतोप्यो बली राय रे, टाल्या तेहना अपाय रे ला ६ ॥ जनम जरा मरणादिका, वयरी लागा ठे केड रे । अरिहंत शरणुं ते यादरी, लव ब्रमण छुःख फेडरे ॥ शिवसुंदरी घर तेड रे, नेह नवल रस रेड रे, सींची सुकुत सुरपेड रे ।। ला॥७॥ ॥दोहा॥ ॥ थावच्चा सुत थरहस्यो, जोर देखी जम धाड ॥ संयम शरणुं संग्रद्यु, धण कण कंचण वांग ॥१॥ण शरणे सुखिया थया,श्रीअनाथी अणगार।। शरण लह्या विण जीवडा, इणी परें रुले संसार ||| इति द्वितीय चावना ____॥ ढाल त्रीजी ।। .. ॥ राग मारुणी॥त्रीजी नावन इणीपरें नावीयें रे, एह स्वरूप संसार । कर्मवशें जीव नाचे नवनव रंगशुं रे, ऐ ऐ विविध प्रकार रे ॥१॥ चेतन चेतीये रे, लही मानव अवतार |चेणा जव नाटकथी जो हुर्ज उचगा रे, तो वांडो विषय विकार रे ॥ चे॥।॥ कवही नूजल जलणानिल तरुमां जम्यो रे, कवही नरक निगोद॥ विति चरिंजियमांहे के दिन वस्यो रे, - - - - - --- - - - - - - - - -
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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