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________________ ( ) संद्यायमाला. - 1. शालें, पांचे चढ्या विमल गिरि सोय रे ॥ पांचे॥ पां० ॥ १६ ॥ तिहां ज अणसण अनुसयुं, पादोपगमन सार रे ।। शिला उपर संघारडो, कृषि पोट्या जिम वृक्षमाल रे ॥ इषि०॥पां॥१७॥ दोय मासनीसंलेषणा, अंते पाम्या केवल सार रे ॥ पांमव पांच मुक्तं गया, तव हुवो जय जय कार रे ।। त० ॥ पांग ॥ २०॥ श्री हीर विजय सूरि राजियो, तपगड उ द्योतकार रे । कर जोडी कवि नाको लणे, मुफ आवागमण निवार रे॥ मुज० ॥ पां० ॥ २७॥ इति॥ ॥ अथ रूप विजयजी कृत श्री थूलिना प्रथम सञ्चाय प्रारंजः ॥ ' ॥ आंबो मोस्यो हे आंगणे, परिमल पुहवी न माय ॥ पासे फूली हे के तकी, चमर रह्यो हे बुजाय ॥ यांबो॥१॥ ए.आंकणी | आवो थूली नज्वालहा, लाजलदेना हो नंद ॥ तुमशुं मुजमन मोहियु, जिम सायर ने चंद ॥ ॥ २॥ सुगुणासाथे हो त्रीतडी, दिन दिन अधिकी हो थाय || बेठो रंग.मजीउनो; कदीये चटक न जाय ॥ ॥३॥ नेह || | विहूणा के माणसा, जेहवां आवल फूल ॥ दीसंतां रलीयामणां, पण न वि पामे हे मूल्य ॥०॥४॥ कोयलडी टहुका करे, आंबे लेके रे झुंव ॥थूलिन सुरतरु सरिखो, कोश्या कणयर कंब ॥ आंग ॥ ५॥ शूलिन के कोश्याने बळवी, दीधो समकित सार ॥ रूपविजय कहे शीलथी, ल |हिये सुख अपार ॥ ॥६॥इति ॥ ॥ अथ श्री अषन विजयजी कृत श्रीथूलिन्ना हित्तीय सद्याय प्रारंजः॥ ॥श्री थूलिजन मुनिगणमा शिरदार जो, चोमासे आव्या कोश्या आ गार जो॥ चित्रामण शालीये तप जप श्रादयां जो ॥ १ ॥ आदरियां व्रत आव्या ने अम गेह जो, सुंदरी सुंदर चंपकवरणी देह जो॥ हम तु म सरिखो मेलो आ संसारमा जो॥॥ संसारे में जोयुं सकल खरूप जो, दर्पणनी गयामां जेवू रूप जो॥ स्वप्नानी सुखडली नूख जांगे नहीं जो ॥३॥ना कहेशो तो नाटक करशुं आज जो, बार वरसनी माया डे मुनिराज जो ॥ ते बोडी हुं जाऊं केम आशा नरी जो॥४॥ आशा न रियो चेतन काल अनादि जो,'नमियो धर्मने हीण थयो परवादी जो ॥ न जाणी में सुखनी करणी योगनी जो॥५॥ जोगी तो जंगलमा वासो वसिया जो, वेश्याने मंदिरीये नोजन रसिया जो।तुमने दीग एवासंयम -
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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