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________________ (३३) . सद्यायमाला..... उनकी सारः।। करणी तो जेसी आपकी रे माता, कोण बेटो कुण वाप रे हो जननी ॥ हुं खेडं संयम चार ॥३॥ पंध माहावतको पाखवो रे. धन्ना, पांच मेरु समान ॥ बावोस परिसह जीतवा रे धन्ना, संयम खांमा की धाररे हो धनजी ॥मतगाभा नोरविनानो नदो कोसो रे धन्ना, चंद विना केसी रात ॥ पियु विना केसी कामिनी रे धन्ना, वदन कमल वित खाय रे हो धनजी ॥ मत ॥५॥ दीपक विना मंदिर किया रे धन्ना, कान विना केसो राम ।। नयण विना किस्युं निरखवु रे धन्ना, पुत्र विना परिवार रे हो धनजी ॥ मत॥६॥ तुं मुफ अंधालाकडी रे धन्ना, सो कोई टेको रे होय॥जो कोश् लाकडी तोडशे रे घना, अंधो होशे खुवार रे हो धनजी ॥मणारत्न जडितको पिंजरो रे माता, ते सूडो जाणे बंध ॥ काम जोग संसारना रे माता, ज्ञानीने मन फंद रे जननी । हुँ खेहुँ संयम नार. ॥॥ आयु तो कंचन लस्यो रे धन्नो, राक्ष परबंत ओम सार ॥ मगर पच्चीशी असतरी रे धन्ना, नहिं संयमकी वात रे हो धनजी म॥॥ नित्य उगी घोडले फीरतो रे धन्ना, नित्य उग बागमें जाय ।। एसी खुत्री परमाणे रे धन्ना, चमर दुलायां जाय रे हो धनजी ॥ म॥१०॥ चोडी पालखीयें पोढतो रे धन्ना, नित्य न खुबी माण ॥ एतो बत्रोश कामिनी. रे धन्ना, जत्नी करे अरदास रे हो धनजी ॥म ॥११॥ नास्य सकारा हुँ गयो रे माता, कानें आयो राग। मुनीश्वरनी वाणी सुणी रे माता, आ संसार अंसार रे हो जननि ॥ हुं शु॥ १५ ॥ हाथमें लेनो पातरो रे धना, घेर घेर मागवी जीख ॥ को गालज देश काढशे रे धन्ना, कोश देवेंगे शीख रे हो धनजी ॥मत॥ १३ ॥ तज दियां मंदिर मालीयारे माता, तज दियो सब संसार ॥ तज दीनी घरकी नारीयो रे.माता, बोड चल्यो परिवार रे हो जननि ॥ हुँ ले ॥ १४ ॥ जूगं तो मंदिर मालियां रे माता, जूगे ते सब संसार ॥ जीवतां चूंटे काल रे माता, मुवां नरक ले जाय रे हो जननि ।। हुँ ले ॥ १४ ॥ रात्रिलोजन बोड दे हो धन्ना, परनारी पञ्चरकाणं ॥ परधनशुंधरा रहो रे धन्ना, एहज संयमन्नार रे हो धनजी ॥ मत. ॥ १६ ॥ मात पिता वरजो नहिं रे. धना, मत कर एसी वात | एह बत्रीशे कामिनी रे धन्ना, एसा देगी शाप रे हो धनजी॥म ॥ १७॥ कर्मतणां पुःख में सह्यां रे माता, कोश - - -- - - - -
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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