SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 136
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दशदृष्टांतना उपनयनी सद्याय. - - - - - रे, मानवजव सुकुमाल रे ॥ च०॥ १२॥ मोहंमिथ्यात्वदायें करी रे, दी वो जिनवर देव रे॥'च॥ अथवा समकित रूअर्बु रे, कर्म विवर सवि शेष रे ॥ च०॥१३॥ तत्व वस्तु पामी करी रे, लाज लह्यो नवि तेणं रे ॥च॥ मोह कुटुंव तणे वशे रे, ते करे नवह जमेण रे ॥ च ॥ १४ ॥ जिम चिंतामणि सिंधुमारे, पडियो नावे हाथ रे॥च॥ तेम मिथ्यात्वी ने कह्यो रे, दोहिलो श्रीजगनाथ रे॥ च ॥ १५ ॥ श्रीविनयविमल कवि रायनो रे, धीरविमल कवि ईश रे॥च॥ एम दृष्टांत कहे नलो रे, नय विमल सुशिष्य रे॥०॥१६॥ सर्वगाथा २७॥ इति नरजव दशदृष्टांता धिकारे कूर्म नामा अष्टम दृष्टांत सद्याय संपूर्ण ॥ ७॥ ॥ अथ नवम युगनामा दृष्टांतःप्रारज्यते ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ मानवनवमां पामियें, आहारक तनु खास ॥ दान सुपात्र तिम वली, खायक समकित वास ॥१॥ नरनव उत्तम ते नणी, सविगतिमांहि सार ॥ कहुं युगधूसर सेलनो, हवे नवमो अधिकार ॥२॥ ॥ ढाल पहेली। ॥राग आशावरी ॥ मित्रपरें आलिंगी रहियो, जवुदीपने जेहो जी॥ लाख दोश् जोयण विस्तारें, लवणजलधिजल गेहो जी ॥ १॥ पुण्य करो रे पुण्य करो नर, मानवजव मत हारो जी ।। सरल स्वजावें. समकित पा मो, सफल करो अवतारो जी ॥॥ पुणा पंचदशादिक योजनलक्षा, परि धितणुं तस मान जी ॥पटशत अधिक सहस एक योजन, तसजल शिख परिणाम जी॥३॥ पु॥चार पाताल कलश तेहमां, सहस जोयण अवगाहे जी ।। मनु कमलोघ वधारण काजें, जाणे करसणिया जलमांहे जी॥४॥ पुण्॥ मीन अदीन पाठीन घणा तिहां, वदन पसारी रंगें जी॥ क्रीडे जलनिधि खोले खेले, जिम सुत जनक उबंगे जी ॥५॥ पुण्॥ जेहनी नीरशिखामांहे लीना, अरुणादिक होय शीत जी॥ जाणे लोक ने आत पीड्या, लाजथकी जयजीत जी ॥६॥ पु॥ दो तिहां अ मरविनोदि तेहमां, पूरव पश्चिम कूलें जी ॥ युग समेली जुजुश् नाखे, प वन करी प्रतिकूले जी॥७॥ पुण्॥ धूसर पश्चिमदिशि प्रति घोडे, पूरव दिशिने समेल जी ॥ जलधिमांहि प्रतिकूल पवनथी, न लहे तेहज मैल जी ॥ ७॥ पु०॥ नवि रंधी अचलादिक अंतरें, नसडी नीरप्रवाहें जी. - - - -
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy