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________________ (५ माटी, खारो, माटीनी जात, पाषाणनी जात आदि दे पृथ्वीकायना नेद जाणवा, १ २॥ अप्कायना नेद कहे ॥ मिनुं पाणी, वरसादनुं पाणी,गरनुं पाणी,हिमर्नु पाणी, करानुं पाणी, लीली हरिकायनुं पाणी, घनोदधिनुं पाणी आदि देश् अप्कायना नेद जाणवा. ३॥ तेउकायना नेद कहे ॥ अंगारानो अग्नि, ज्वालानो अग्नि, नागनो अग्नि, नकापातनो अग्नि, वजनो अनि, विजलीनो अनि आदि देश तेउकायना नेद जाणवा. ३ ४॥ वाजकायना नेद कहे ॥ उसामक वायरो, उत्कलिक वायरो, मंमलिक वायरो, मोटो वायरो, शुद्ध वायरो, गुंजारव करेते वायरो, घनवात, तनुवात आदि देश वांउकायना नेद जाणवा. ४ ५॥ वनस्पतिकायना बे नेद कहे ॥ . १ साधारण वनस्पति. प्रत्येक वनस्पति. १॥ साधारण वनस्पतिना नेद कहे ॥ सर्वजातनां कंद, सर्व जातना अंकुरा, सर्व जातनां
SR No.010850
Book TitleJiva Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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