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________________ fa इंति-वे. धणुा = धनुष्य. पुदुक्तं पृथक्त्व, वेथी नव सुधी. ! गाउळा = गाउ. A. ५७ ) खयरा - खेचर. जुयगा-तुजपरिसर्प, मित्ता-प्रमाणवाला. गाथा ३१ सीना बूटा शब्दना अर्थ. समुचिमा - संमूर्खिम. चप्पया चार पगवाला. मणिया कह्या बे. = गाथा ३२ मी पूर्वार्धना बूटा शब्दना अर्थ. बच्चेव - निचे ब. गाउचाई = गाउ. परिकसु-पक्षी नं. नुयचारी - तुजपरिसर्प. गनया-गर्भज. मुणेयचा = जाएवा. अर्थः- तिर्यच जीवो गर्नज ने संमूमि ए बे प्रकारना होय बे, तेमां गर्भजना शरीरनुं प्रमाण यावी रीतेः - (मछा उरगा य सहस्स जोयण माणा के० ) मत्स्य ने उरः परिसर्पनां शरीरनुं प्रमाण एक हजार योजननुं होय बे. एवां मोटां मत्स्यो स्वयंभूरमण समुद्रमां होय . अने एवा उरः परिसर्पो अढी द्वीपथी बहार होय बे. ( परिकसु धणु पुहुत्तं के० ) पक्षीनां शरीरनुं प्रमाण धनुष्य पृथक्त्व पटले वे धनुष्यथी लइने नव धनुष्य
SR No.010850
Book TitleJiva Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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