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________________ (ए) नव ग्रैवेयकना नव नेद, पांच अनुत्तर विमानोना पांच नेद, ए सर्व मती नवाणुं नेदं थया. एने पर्याप्ता तथा अपर्याप्ता ए बे नेदे गुणतां एकसो ने अहाणुं नेद थाय ॥२४॥ ___ ए रीते पूर्वोक्त तिर्यंचना अमतालीश, नारकीना चौद,मनुष्यना त्रणसें ने त्रण तथा देवताना एकसो ने अहाणुं मली जीवोना ५६३ नेदो थया. एम चौद राजलोकमां जीवादिक ब अव्य बे, तेमां एक जीव अव्यना एक संसारी अने वीजा सिक एबे जेद पूर्वे कह्या हता, तेमांथी संसारी जीवोना पांचसें वेसठ नेद संदेपे कही देखाड्या, ए संसारी जीवोनो विचार कह्यो. हवे वीजा सिक जीवोना नेद कहे बे:सिहा पनरस नेया, तिब अतिबाइ सिझनेएणं ॥ एए संखेवणं, जीववि. गप्पा समकाया ॥२५॥ गाथा २५ मीना बूटा शब्दना अर्थ. सिधा-सिद्ध जेया नेदो. तिब-तीर्थकर पनरस-पंदर. जी. ४
SR No.010850
Book TitleJiva Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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