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________________ 34384 ( २ ) हवे उपर त्रण प्रकारना जे तिर्यंच जीवो का ते एकेका वली बेबे ने बीजी रीते कहे डे:सवे जलथल खयरा, समुचिमा गनया उहा हुंति ॥ कम्पाकम्मग भूमि, अंतरदीवा मगुस्सा य ॥ २३ ॥ गाथा २३ मीना बूटा शब्दना अर्थ. स सर्व प्रकारना जल-जलचर. थव-स्थलचर. खयरा - खेचर. समुचिमा = संमूर्हिम. गया - गर्भज. हा- वे प्रकारना हुति - बे. कम्माकम्मग भूमि- कर्मभूमि कर्मभूमिना. अंतरदीवा= अंतरदीपना. मणुस्सा = मनुष्य. अर्थ:- ए उपर कहेला ( सवे के० ) सर्व प्रका रना ( जल थल खयरा के० ) जलचर, स्थलचर तथा खेचर जीवो ते एक ( समुचिमा के० ) संमूबीजा ( गया के० ) गर्भज ए ( उहा के० ) द्विधा एटले वे प्रकारना ( हुंति के० ) बे. एम प्रत्येकना बब्बे प्रकार होवाथी बनेद थया. तेमां जे जीवो माता पितानी अपेक्षा विना उत्पन्न यायतें संमूर्छिमकवाने जे जीवो गर्नमां उत्पन्न
SR No.010850
Book TitleJiva Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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