SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (2) ते मां (जेसिमताणं के० ) जे अनंत जीवोनुं (तपुं एगा के० ) एक शरीर होय (तेऊ के०) तेने (साहारणा ho ) साधारण वनस्पतिकाय जीवो जाणवा ॥ ८ ॥ हवे बे गाया करी ए साधारण वनस्पतिकाय जीवोना नेद कहे : कंदा अंकुर किसलय, पणगा सेवाल भूमिफोमा अ ॥ अह्नयतिय गजर मो.- वचुला येग पलंका ॥ ए ॥ कोमल फलं च सवं, गूढसिराइ सिपाइ पत्ताई || योदरि कुंधारि गुग्गुलि, गलोयपसुदाइ बिन्नरुदा ॥ १० ॥ गाथा ए सीना बूटा शब्दना अर्थ. कंदा- कंद. अंकुर = अंकुर, फलगा.. किसलय - कुंपलो. पगा-पांच वर्णनी फुगीसेवाल - सेवाल, लील. भूमिफोमा - विलामीना टोप 健 3 श्र, लीली हलदर अने लीलो कचूरो ). गजर = गाजर. मोठ-मोथ. वत्रुला = ए नामे शाक विशेष. घेग-धामुरा, घेगी. अल्लयतियईक त्रिक (लीलुं पलंका - ए नामे शाक विशेष
SR No.010850
Book TitleJiva Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy